All about बटरफ्लाई फोटोग्राफी/Butterfly Photography in Hindi
फोटोग्राफी की अनेक शाखाओं की तरह बटरफ्लाई फोटोग्राफी भी बेहद मजेदार, रोचक और अपने आप में विशिष्ट है। यूं तो आप किसी भी सब्जेक्ट की तस्वीर किसी भी तरीके से खींच सकते हैं, लेकिन ऐसी तस्वीरों में वो बात नहीं होती। लाखों करोड़ों तस्वीरों की भीड़ में ऐसी तस्वीर गुम होकर रह जाती हैं। आपकी खींची हुई तस्वीर आपके लिए खास हो सकती है क्योंकि उसे आपने क्रिएट किया है लेकिन व्यूअर के रूप में दूसरों की रुचि उनमे नहीं होगी, क्योंकि साधारण स्नैपशॉट तो कोई भी ले सकता है।
फोटोग्राफर के रूप में तितलियों के आकर्षक आईकैचिंग फोटो के लिए आपको खास तैयारी के साथ फील्ड में उतरना पड़ता है। इस तैयारी में कई बातें शामिल होती हैं, जैसे कि सही किस्म के गियर (कैमरा, लेंस फ्लैश आदि) का चुनाव, आपके कपड़े, आपका सही समय पर सही जगह पर होना, आपका शारीरिक और मानसिक रूप से इसके लिए तैयार होना आदि।
लेकिन, इन सबसे ऊपर एक बात है। लैंडस्केप, सुंदर प्राकृतिक दृश्य, फूल-पत्तियों, हिस्टोरिकल साइट्स आदि स्थिर चीजों या लोगों या अपने पेट्स (पालतू कुत्ते-बिल्लियों, चिड़ियों) की तस्वीरें लेना एक अलग बात है। इसमें आपको अपने सब्जेक्ट के हिसाब से शायद ही चलना पड़े। लेकिन बात जब जीव-जंतुओ की फोटोग्राफी की हो तो मामला बिल्कुल अलग होता है।
कुदरत में आजाद विचरने वाले जीव-जंतुओं की आजादी ही उनकी सुंदरता है। और आपको उनकी यही सुंदरता अपने धैर्य, हुनर, सूझ-बूझ और कैमरे की मदद से तस्वीरों में उतारनी है। आपको उनके बारे में जानना होता है, समझना होता है। उनके पाए जाने की संभावित जगहों, उनके आदत-स्वाभाव, उनकी गतिविधियों, वे क्या पसंद करते हैं और किन चीजों से दूर भागते हैं इन सब बातों पर आपकी पकड़ होनी चाहिए।
यह जरा भी मुश्किल काम नहीं है। बस आपको अपने इन प्यारे खूबसूरत सब्जेक्ट से प्यार होना चाहिए। तो, दोस्तो आइए जानते हैं तितलियों की आकर्षक तस्वीरें पाने के लिए हमें किन बातों का ध्यान रखना है।
1.सही गियर का चयन:
बटरफ्लाई फोटोग्राफी के लिए किसी भी कैमरे और लेंस से आप शुरुआत कर सकते हैं। यदि आपके पास डीएसएलआर (DSLR) कैमरा है तो फिर कहना ही क्या। निकॉन, कैनन आदि किसी भी ब्रांड का कोई भी सबसे कम कीमत वाला डीएसएलआर भी पर्याप्त है। nikon D3400, canon 1500D आदि का नाम उदाहरण के लिए लिया जा सकता है।
हां, लेंस के लिए यह बात जरूर है कि आपके 18-55mm किट लेंस से बात नहीं बनेगी, क्योंकि आमतौर पर तितलियां आपको उतनी नजदीक नहीं आने देंगी। तो जरूरी है कि आप अधिकतम जूम पर टेलीफोटो लेंस इस्तेमाल करें, ताकि शर्मीली तितलियों और आपके बीच पर्याप्त दूरी हो।
इस लिहाज से 200mm से 300mm तक का एक मिड-रेंज टेलीफोटो लेंस आपके काम के होंगे। जैसे nikon के 55-200mm, 55-300mm लेंस या canon के 55-250mm या 70-300mm लेंस। ये लेंस अपने रेंज के सबसे सस्ते लेंस हैं, लेकिन एक से डेढ़ मीटर की दूरी से तितलियों की सुंदर फोटो लेने के लिए ये बहुत कारगर हैं। ऊपर से, ये लाइटवेट हैं यानी इनका वजन भी बहुत ही कम है।
यदि आपको ‘ग्रास ब्लू’ जैसे बेहद छोटी तितलियों की फोटो लेनी हो या ‘प्लेन टाइगर’ जैसी बड़े साइज की तितली के विंग पैटर्न का क्लोजअप या विंग डीटेल्स चाहिए तो आप 100mm या 105mm माइक्रो लेंस का विकल्प चुन सकते हैं। ये लेंस महंगे होते हैं।
तो ये हुई कैमरे और लेंस की बात। अब एक प्रश्न और रह जाता है, क्या बटरफ्लाई फोटोग्राफी में फ्लैश और ट्राइपॉड का इस्तेमाल व्यावहारिक है? मैं तो यही कहूंगा कि तितली जैसे चंचल जीव की तस्वीर लेने के लिए कैमरे को ट्राइपॉड पर चढ़ाकर इस्तेमाल करने की व्यावहारिकता एकदम सीमित है, खासकर तब जबकि ये आधुनिक लेंस खुद ही वाइब्रेशन को कम करने वाली तकनीक से लैस होते हैं। निकॉन के लेंस में इसे VR (vibration reduction) और कैनन लेंसों में IS (image stabilization) कहा जाता है।
जीव-जंतुओं की फोटोग्राफी में फ्लैश का इस्तेमाल न करें तो बेहतर है। इससे उनकी सहज गतिविधि में बाधा पड़ती है। खासकर तितलियों जैसे कोमल जीव के लिए फ्लैश की तेज रोशनी हानिकारक होती है।
2.कैमरे की सही सेटिंग्स:
यह पॉइंट बहुत महत्वपूर्ण है और इसे सीखकर आपको इसका अभ्यास करना चाहिए। मैं यह मानकर चल रहा हूं कि आप कैमरे बेसिक से परिचित हैं। तो आइए, बटरफ्लाई फोटोग्राफी के लिए कैमरे की सही सेटिंग्स जानें-
(i) लेंस जूम:
अपने टेलीफोटो जूम लेंस को हमेशा मैक्सिमम जूम पर रखें। जैसे कि यदि आप 55-200mm या 70-300mm का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें क्रमशः 200mm और 300mm पर सेट करें। इससे आपको एक या डेढ़ मीटर की सुरक्षित दूरी पर रहते हुए भी अपने सब्जेक्ट का मैक्सिमम साइज मिलता है और बैकग्राउंड को जहां तक हो सके प्लेन रखने में मदद मिलती है।
(ii) शटर स्पीड:
तितलियों का हमेशा गतिशील होना और उनके विंग का तेज मूवमेंट उनकी फोटो लेने में सबसे बड़ी परेशानी पैदा करते हैं। आप कैमरे की शटर स्पीड इतना जरूर रखें कि मोशन फ्रीज किया जा सके। खासकर यदि आप उड़ती तितली के पीछे हैं तो कम से कम 1/600 सेकेंड की शटर स्पीड जरूर रखनी चाहिए। तितली यदि स्थिर हो और खुली धूप हो तो आप जरूरत के अनुसार कम शटर स्पीड पर भी काम कर सकते हैं। वैसे, कभी-कभी तो कम शटर स्पीड आजमाकर उड़ती तितली की आर्टिस्टिक मोशन ब्लर्ड तस्वीरें भी ली जा सकती हैं।
(iii) अपर्चर:
चूंकि आपको हाई जूम पर बहुत कम दूरी से फोटो लेनी होती है तो आपको लेंस के अपर्चर पर भी ध्यान देना होगा ताकि तितली के शरीर के सभी अंग शार्प फोकस में रहें। इसके लिए आप अपर्चर का f नंबर जितना बढ़ाएं उतना अच्छा है लेकिन आपको पर्याप्त एक्सपोजर का भी ध्यान रखना होगा।
इसलिए हमारी सलाह है 200mm या 300mm पर टेलीफोटो लेंस के लिए अपर्चर को f/8 रखना सेफ रहेगा। वैसे, सिचुएशन के हिसाब से आप इसे बढ़ा-घटा सकते हैं। जैसा कि कभी-कभी होता है, तितली यदि पूरा पंख फैलाए शांत बैठी हो तो आप अपर्चर f/5.6 रखकर भी शार्प फोटो ले सकते हैं।
(iii) ISO:
जैसा कि आप जानते हैं कम रोशनी वाले सिचुएशन में आपको ISO बढ़ाना पड़ता है। रोशनी बहुत कम हो ISO बहुत अधिक जैसे कि 800 या 1600 तक या उससे भी ऊपर तक बढ़ाया जा सकता है। यह आपके कैमरे पर निर्भर करता है कि वह ठीक-ठाक नॉइज रखते हुए कितना ऊंचा ISO हैंडल कर सकता है। आधुनिक सामान्य डीएसएलआर में आप ISO 400 तक तो रख ही सकते हैं जिससे आपकी तस्वीरों में नॉइज कम हो और साथ ही अपको फास्ट शटर स्पीड और बड़े f नंबर इस्तेमाल करने की आजादी मिले।
(iv) व्हाइट बैलेंस:
तितलियों की फोटोग्राफी चूंकि आप दिन की रोशनी में आउटडोर करते हैं, तो व्हाइट बैलेंस हमेशा डे-लाइट पर सेट करें। इससे फोटो में तितली और उसका परिवेश वास्तविक रंग में कैप्चर होगा। यह बात लागू होती है यदि आप jpeg फॉर्मेट में काम करते हैं। RAW फॉर्मेट की स्थिति में आप आजाद हैं पोस्ट प्रॉसेसिंग में व्हाइट बैलेंस चेंज करने के लिए।
(v) पिक्चर कंट्रोल:
यदि आपका शूटिंग फॉर्मेट jpeg है और आप पोस्ट प्रॉसेसिंग में अधिक वक्त नहीं गंवाना चाहते तो मनचाहा पिक्चर कंट्रोल कैमरे में पहले ही सेट कर लें। सामान्य रूप से Standard या अधिक सैचुरेट कलर और चमक के लिए Vivid सेट किया जा सकता है। यह आपकी पसंद पर निर्भर है।
3. कैमरा फोकस और कंपोजिशन:
तितली की आंख और धड़ के बीच वाले हिस्से पर फोकस करना सही रहता है। ध्यान रखें कि कैमरे का पोजिशन तितली के विंग के पैरलल हो। इससे तितली का पूरा विंग फोकस में रहता है। फ्रेम में, ऊपर की ओर पंख समेटे बैठी तितली के सिर के आगे जगह छोड़नी चाहिए।
तितली को अलग-अलग एंगल से कैप्चर करने की कोशिश करें। धैर्य से इंतजार करें तो आप पूरा पंख खोले धूप सेंकती तितली कैप्चर कर सकते हैं। तितली यदि फूल, पत्ती या टहनी पर जमीन से थोड़ी ऊंचाई पर पंख खोले बैठी हो तो नीचे झुककर ली गई उसकी अंडरविंग फोटो काफी आकर्षक फ्रेम बना सकती है।
किसी फूल पर बैठी तितली यदि शांत हो और आपको अपने निकट आने दे तो उसके सामने केे नाजुक सी पतली लंबी पाइप जैसे अंग पर ध्यान दें जिसकी मदद से वह फूलों का रस पीती है। आम तौर पर तितली इसे क्वायल की तरह लपेट कर रखती है, लेकिन जब रस पीना होता है तभी इसे खोलकर लंबा करती है और फूल के परागकोश तक ले जाती है।
4.रोशनी का ध्यान रखना:
रोशनी यानी लाइट किसी भी किस्म की फोटोग्राफी के लिए सबसे आधारभूत चीज है। तितलियों की सुंदर तस्वीर पाने के लिए आप हमेशा यह ध्यान रखें कि तितली का मुख्य हिस्सा जो आपके कैमरे के सामने है उस पर अच्छी तरह और एक समान लाइट पड़ रही हो। खिली धूप की तितली तस्वीर में बहुत सुंदर आती है। आप हमेशा ध्यान रखें कि सूरज आपके पीछे हो ताकि आपके सामने धूप में नहाई तितली हो। आप अपने मूवमेंट में इस बात की सतर्कता बरतें कि तितली के ऊपर आपकी छाया न पड़े। ऐसा होने पर तितली तुरंत अपना स्थान बदल देगी।
5. सही जगह ढूंढ़ना:
आम तौर पर जहां कहीं भी पौधे उगते हैं, फूल खिलते हैं वहां तितलियां होती हैं। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि आप कहीं दूर जंगल में या किसी नेशनल पार्क या सैंक्चुअरी में जाएं तभी बटरफ्लाई फोटोग्राफी कर पाएंगे। तितली आपको कहीं भी मिल सकती है। आपके किचन गार्डन में, बगीचे में, सड़क और रेलवे लाइन के किनारे उगी झाड़ियों में, खेतों में, नदी या झीलों के किनारे उगने वाली पौधों, झाड़ियों और सरकंडों पर।
कीचड़ और नमी वाली जगहों में भी वे आपको मिलेंगी जहां से वे अपनी मिनरल की जरूरत पूरी करती हैं। आप भाग्यशाली हुए तो तितलियां बालकनी के गमलों में लगे पौधों पर भी आकर्षित हो सकती हैं।
6. आपके कपड़े और आपकी सुरक्षा:
यदि आप तितलियों की फोटो के लिए कहीं आउट डोर जाते हैं तो ध्यान रहे आप पूरे कपड़े पहनें। फुल पैंट और पूरी बांह की कमीज आपको जंगलों में, बगीचों में, छाया वाली जगहों पर, पानी जमे गड्ढों के आस-पास की झाड़ियों में मच्छरों और कीड़े-मकोड़ों से बचाएंगे।
बांस की झुरमुटों और नम छाएदार जगहों पर मच्छरों की तादाद बहुत होती है। इनकी वजह से आप फोटोग्राफी में एकाग्र नहीं हो पाएंगे। ऐसी जगहों पर आप अपने हाथ, गरदन और चेहरे जैसे खुले हिस्सों पर ओडोमॉस जैसी कोई मॉस्कीटो रिपैलेंट क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सांप, कांटे, नुकीले पत्थर और खूंटियों से पांवों की रक्षा के लिए एंकल हाइट के बूट से उन्हें सुरक्षित रखना न भूलें। कैमरे के व्यूफाइंडर से चिपकी आपकी नजर अपने सब्जेक्ट पर होती हैं। अकसर तितलियों के साथ हमें भी अचानक अपनी जगह बदलनी पड़ती है। तितलियों के पीछे चलते-चलते हम कभी भी ऊंची घासों के बीच या झाड़ियों के अंदर तक चले जाते हैं।
आपके पांव कहां पड़ रहे हैं इसका ध्यान रखना बहुत जरूरी है। सांप, घोंघे, मेढ़क जैसे जमीन पर रहने वाले जीवों की रक्षा के लिए, और आपकी अपनी सुरक्षा के लिए भी।
7. आपका व्यवहार:
ध्यान रखिए तितलियों की तलाश में आप जब किसी जंगल या झाड़ियों में जाते हैं तो आप उनके लिए एक इंट्रूडर यानी घुसपैठिए की तरह होते हैं। अचानक आपकी मौजूदगी उन्हें असहज बनाती है। इसलिए उनका आपकी मौजूदगी में सहज होने और उस जगह के साथ आपके खुद के भी सहज होने के लिए जरूरी है कि आप शांत रहें, खुली निगाहों से एकाग्र होकर तितलियों और उनके परिवेश का अध्ययन करें।
आपके मूवमेंट बहुत धीरे हों। जब लगे कि वे आपसे भाग रही हों तो उनका पीछा न करें। अपना पोजिशन एकदम धीरे से बदलें। उन्हें शांत और सहज होने दें। हो सकता है तब वे बिल्कुल आपके पास आ जाएं। क्या पता उनमें से कोई उड़कर आपके लेंस पर ही बैठ जाएं!
आपके कपड़े या कैप के रंग चटख लाल, पीले, नीले, काले, सफेद तो बिल्कुल नहीं होने चाहिए। आपको परिवेश से मैच करने वाले हल्के रंगों के कपड़े पहनने चाहिए।
गहरे रंगों की तरह ही तितलियों को परफ्यूम, डियो आदि के अननैचुरल गंध से भी असहता होती है। इसलिए तितलियों की दुनिया में जाने से पहले इनका इस्तेमाल न करें। बटरफ्लाई फोटोग्राफी में इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
8. अपने सब्जेक्ट को जानना:
दोस्तो, किसी आकर्षक और दमदार फोटो के पीछे एक छुपी हुई बात होती है। वह है फोटोग्राफर का अपने सब्जेक्ट से जुड़ाव होना और उनको जानना। बटरफ्लाई फोटोग्राफी पर भी यह बात लागू होती है। अपने सब्जेक्ट से प्यार आपको उनके बारे में अधिक जानने की प्रेरणा देती है। फिर आप सही मायने में उनकी दुनिया में प्रवेश कर पाते हैं।
जब भी किसी तितली की फोटो लें तो नाम जरूर ढूंढें। कंप्यूटर में तितलियों की फोटो उनके नाम के साथ सेव करें। किताबों, मैग्जीन और इंटरनेट की सहायता से उनकी दुनिया के बारे में जानें।
आउटडोर समय बिताएं। आस-पास के पार्क, जू, पेड़-पौधों से भरी किसी जगह, नदियों, झीलों, एकांत जगह पर बने मंदिरों, जहां फूल, पौधे और पेड़ों के झुरमुट हों वहां जाया करें। कभी-कभी बिना कैमरा साथ रखे भी इन जगहों पर जाएं और शांत बैठकर तितलियों की गतिविधियां देखें।
सुबह एकदम सवेरे ठंड में तितलियां हमारी नजरों से ओझल अपने सुरक्षित जगहों पर शांत पड़ी रहती हैं। धूप निकलने पर पहले वे पंख फैलाकर अपने बायो एनर्जी को रिचार्ज करती हैं। इसके कुछ देर बाद ही वे अपने ठिकानों से निकलकर खुले में उड़ना शुरू करती हैं। सुबह के आठ-नौ तक उनकी उड़ान की गति धीमी रहती है। सुबह के यही एक-दो घंटे बटरफ्लाई फोटोग्राफी के लिए सबसे अच्छे होते हैं। ओस से भींगी पंखुड़ियां, पत्ते और घास उनकी तस्वीरों के सुंदर बैकग्राउंड होते हैं।
पूरब के आसमान पर धीरे-धीरे उठते सूरज की तिरछी मुलायम किरणों से तितलियों की फोटो के लिए बेहतरीन एक्सपोजर मिलता है। सूरज आसमान में ज्यों-ज्यों ऊपर चढ़ता है तितलियों की उड़ान तेज होती है। दिन भर उड़ने की थकान के बाद ढलते सूरज की रोशनी में फिर वे सुस्त होने लगती हैं। लेकिन इस समय वातावरण में सुबह वाली शांति, ठंडक और स्वच्छता नहीं होती।
दोस्तो, संभावनाओं की कोई सीमा नहीं होती। यदि आप तितलियों की प्रोफेशनल स्तर की बेहतरीन तस्वीरें खींचने में निपुणता हासिल कर लेते हैं, तो इन तस्वीरों से धन अर्जित करना भी आपके लिए संभव हो सकता है। पत्र-पत्रिकाओं में आप ऐसी तस्वीरें छपने को भेज सकते हैं। प्रकृति-पर्यावरण और वन्य जीवन (वाइल्ड लाइफ) से जुड़ी संस्थाओं और शोधपत्रों से भी संपर्क कर सक्ते हैं। स्टॉक फोटो साइट पर भी आप अपनी तस्वीरें बिक्री के लिए रख सकते हैं।
उम्मीद है बटरफ्लाई फोटोग्राफी पर हिंदी में यह आलेख आपके काम आएगी और आपको पसंद आई होगी। हम समय-समय पर आपके लिए फोटोग्राफी से जुड़े ऐसे उपयोगी आलेख लाते रहेंगे। आलेख कैसा लगा, चाहें तो नीचे reply बॉक्स में लिखकर हमें बता सकते हैं।
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