‘कैसे खींचें अच्छी तस्वीर’ – यह सवाल नया कैमरा लेने के बाद फोटोग्राफी के हर शौकीन के दिमाग में आता है। डिजिटल कैमरे और मोबाइल फोन ने आज फोटोग्राफी को सबसे लिए सुलभ कर दिया है। पहले फोटो खींचना पेशेवर फोटोग्राफरों का फील्ड हुआ करता था, आज मोबाइल कैमरे से तस्वीरें लेने वाला हर इंसान फोटोग्राफर है!
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अच्छी फोटो कैसे खीचें : अच्छी तस्वीरें खींचने के 11 बेहद आसान फोटोग्राफी टिप्स –
तो, अब फोटोग्राफी नए लाइफस्टाइल का एक मनोरंजक और जरूरी अंग बन गया है। तस्वीरें हर कोई खींचता है और सभी चाहते हैं कि उनकी तस्वीरें सुंदर हों, औरों से अलग हों। (तभी तो, सोशल मीडिया पर आपकी तस्वीरें को अधिक ‘लाइक’ मिलेंगे!) आप कोई भी कैमरा इस्तेमाल करते हों, यहां तक कि मोबाइल फोन भी, ये टिप्स आजमाकर देखिए। आप अपनी फोटोग्राफी को एक नए लेवल पर पाएंगे!
1.लाइटिंग, यानी रोशनी का पूरा खयाल रखिए
‘फोटोग्राफी में, जिसने लाइटिंग को समझ लिया उसने आधी फोटोग्राफी सीख ली’। जरा ध्यान दीजिए, फोटोग्राफी रोशनी यानी लाइट के रिफ्लेक्शन का खेल नहीं तो और क्या है! फोटोग्राफी शब्द का अर्थ ही है ‘रोशनी (फोटो) से चित्रकारी’। सब्जेक्ट पर सही रोशनी पड़ने से फोटो में वह पूरे डीटेल के साथ साफ-साफ दिखता है। सामान्य सिद्धांत यही है कि आपका सब्जेक्ट पूरी तरह रोशन होना चाहिए। फोटो के बैकग्राउंड, फोरग्राउंड या मुख्य सब्जेक्ट के अलावा दूसरी चीजों पर हमेशा कम लाइट पड़नी चाहिए।
जो भी लाइट सोर्स (रोशनी का स्रोत) मौजूद हो, जैसे कि दिन के समय सूरज की किरणें और रात को बल्ब की रोशनी- आप कोशिश करें कि वह रोशनी आपके सब्जेक्ट पर सही तरीके से पड़े। इसके लिए आप अपना पोजिशन, सब्जेक्ट का पोजिशन या लाइट के डाइरेक्शन को एडज्स्ट कर सकते हैं। सामान्य परिस्थितियों में, ध्यान रखिए कि लाइट आपके सब्जेक्ट पर सामने से पड़े, न कि लाइट सोर्स सब्जेक्ट के पीछे हो। लेकिन, इस नियम को तोड़कर, लाइट के साथ खेलकर आप आर्टिस्टिक (कलात्मक) तस्वीरें भी खींच सकते हैं। जैसे, डूबते लाल सूरज को सब्जेक्ट के पीछे रखकर ली गई यह तस्वीर-
2. अपने सब्जेक्ट के निकट जाइए
फोटोग्राफी में लाइटिंग के बाद, सब्जेक्ट के यथासंभव निकट जाकर फोटो लेने से अच्छी बात फोटोग्राफी में दूसरी नहीं होती। सब्जेक्ट के निकट जाकर ली हुई फोटो में आपका सब्जेक्ट उभर कर सामने आता है और देखने वालों के दिमाग पर ऐसी फोटो एक अलग प्रभाव छोड़ती है। सब्जेक्ट के निकट जाने से फ्रेम में सब्जेक्ट सामने रहता है और सब्जेक्ट को अधिक जगह मिलती है। ज़ूम लेंस की मदद से भी ऐसा किया जा सकता है, लेकिन अच्छा होगा यदि आप कैमरे को ही सब्जेक्ट के करीब ले जाएं। यानी, ‘लेंस ज़ूम करने की बजाए, अपने पैरों से चलकर ज़ूम करें’। तो, अच्छी तस्वीर खींचने के लिए अपने सब्जेक्ट के निकट जाएं!
3. आई-लेवल पर फोटो लीजिए
आई-लेवल पर फोटो लेने का अर्थ है फोटो लेते वक्त कैमरे को सब्जेक्ट की लगभग बराबर ऊंचाई पर रखना। जैसे कि, मान लीजिए आप जमीन पर घुटने के बल चल रहे किसी बच्चे की तस्वीर लेने वाले हैं, तो आपको खुद भी जमीन पर बैठ कर, बच्चे की हाइट तक झुकना चाहिए। इससे, सब्जेक्ट पर फोकस किया हुआ आपका कैमरा जमीन के क्षैतिज रहता है। इस तरह खींची गई तस्वीर आकर्षक होती है। साथ ही, सब्जेक्ट के पीछे लंबा बैकग्राउंड आता है जो फोटो में सुंदर इफेक्ट डालता है।
4. बैकग्राउंड का ध्यान रखिए
बैकग्राउंड, यानी आपके मुख्य सब्जेक्ट के पीछे का हिस्सा। फोटो को बनाने-बिगाड़ने में फोटो के बैकग्राउंड का बड़ा हाथ होता है। बैकग्राउंड की चर्चा हमने जान-बूझकर तीसरे नंबर पर किया है। सुंदर और प्रभावशाली फोटो में यह बात बड़ा मायने रखती है कि आपके सब्जेक्ट का बैकग्राउंड क्या है और उसे कैसे दिखाया गया है। जब आप अपने सब्जेक्ट के नजदीक जाकर और आई-लेवल पर फोटो लेते हैं तो आपको बड़ी आसानी से सब्जेक्ट के पीछे shallow Depth of Filed के साथ सुंदर प्लेन बैकग्राउंड मिलता है। अब, यदि आप इस एंगल से सब्जेक्ट पर कैमरा फोकस करें कि उसके पीछे कोई सुंदर रंगीन चीज, हरी झाड़ी या नीला आसमान जैसा कुछ आ जाए तो यकीन मानिए आपकी फोटो को चार चांद लग जाएंगे।
5. कंपोजिशन पर ध्यान दीजिए
फोटोग्राफी में कंपोजिशन का मतलब है फ्रेम के अंदर फोटोग्राफर की रुचि और विजन के अनुसार चीजें का अपनी जगह पर व्यवस्थित होना। फ्रेम के अंदर दृश्य के सभी तत्वों का अरेंजमेंट ऐसा होना चाहिए कि देखने वालों को वे रोचक लगें और निगाहें फोटो पर टिकें। कोई भी तस्वीर, यदि देखने वालों की निगाहों को अपनी तरफ बांध कर नहीं रख पाती तो वह एक कमजोर तस्वीर होती है।
जिस समय आप कोई सीन या सब्जेक्ट शूट कर रहे होते हैं उसी वक्त आपको फ्रेम कंपोज करना होता है। यानी, आपको निर्धारित करना है कि सीन में क्या-क्या रखना है और कहां रखना है। फोटोग्राफर के लिए हमेशा अपनी पसंद के अनुसार चीजों को व्यवस्थित करना संभव नहीं होता।
जैसे, यदि आप स्टूडियो में शूट कर रहे हैं तो आपका सब्जेक्ट आपके नियंत्रण में है, तो आप उन्हें मनचाहे तरीके से अरैंज कर परफेक्ट फ्रेम बना सकते हैं, लेकिन वाइल्डलाइफ, लैंडस्केप या स्ट्रीट फोटोग्राफी में ऐसा कर पाना संभव नहीं होता। इन परिस्थितियों में आपको अपना पोजिशन बदलकर फ्रेम कंपोज करना पड़ता है। इसलिए, आपको रोचक और मनचाहे फ्रेम के लिए अपनी जगह और कैमरे का एंगल बदलकर फ्रेम कंपोज करना चाहिए। फ्रेम कंपोज करने के लिए रुल ऑफ थर्ड्स को ध्यान में रखना बेहद उपयोगी हो सकता है।
6. विभिन्न पर्सपेक्टिव अपनाइए
फोटोग्राफी में किसी सब्जेक्ट को अलग-अलग एंगल (कोण) से देखना पर्सपेक्टिव कहलाता है। एक ही सब्जेक्ट के अलग-अलग एंगल से लिए हुए फोटो अलग-अलग प्रभाव देते हैं। इस तरह, पर्सपेक्टिव बदल कर आप एक साधारण सब्जेक्ट के भी बेहतरीन रोचक तस्वीरें ले सकते हैं, और इस तरह एक ही सब्जेक्ट को कई अलग-अलग अंदाज में दिखाया जा सकता है। यह आपको तय करना है कि किस कोण से ली गई तस्वीर आपकी फोटो को उसी सब्जेक्ट की अन्य तस्वीरों से अलग एक नया रूप देती है।
7. कैमरा सही तरीके से पकड़िए और हिलने से बचाइए
फोटो लेते वक्त कैमरा स्थिर रहना चाहिए। इसलिए कैमरे को सही तरीके से पकड़िए। कैमरा हिलने से तस्वीर के शार्पनेस पर असर पड़ता है। शार्प फोटो के लिए आपके हाथ के साथ-साथ आपके शरीर का भी स्थिर रहना जरूरी है। दोनों पैरों पर शरीर को सहज मुद्रा में संतुलित रखना चाहिए। संभव हो तो दीवार, पेड़, गाड़ी जैसी चीजों से टिकाकर शरीर को एक्स्ट्रा सपोर्ट दे सकते हैं। मतलब कि, फोटो लेते वक्त कैमरे को जैसे भी हो यथासंभव हिलने से बचाना है।
8. आंखों पर फोकस कीजिए
यदि आप आदमी, जीव-जंतुओं या अपने पेट का फोटो लेते हैं तो उनकी आंखोों पर फोकस करने की कोशिश कीजिए। इंसान या जीव-जंतु की आंखें किसी फोटो का सबसे आकर्षक बिंदु होता है। पोर्ट्रेट फोटोग्राफी में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है।
9. सब्जेक्ट से कनेक्ट होइए
सब्जेक्ट से कनेक्ट होने का अर्थ है उसके करीब जाना और उसे कैमरे की ओर सहजता से मुखातिब करना। कैमरे या फोटोग्राफर की ओर मुखातिब सब्जेक्ट से व्यूअर खुद ब खुद जुड़ जाता है। ऐसी तस्वीरों में इमोशन झलकता है और आपके सब्जेक्ट से व्यूअर का जुड़ाव आपकी तस्वीर में जान डाल देता है। इसलिए, जहां संभव हो अपने सब्जेक्ट से कनेक्ट होइए। उनके साथ संवाद कीजिए और शटर दबाने से पहले अपनी तथा अपने कैमरे की उपस्थिति को लेकर उन्हें सहज हो जाने दीजिए।
10. स्टोरी कैप्चर कीजिए
फोटो में स्टोरी होने का मतलब है कि फोटो में कुछ ऐसे तत्व हों जिनसे व्यूअर के मन में ‘क्या’, ‘कहां’ ‘कौन’ जैसे कुछ सवाल उठें या ऐसे सवालों के उत्तर मिलें। फ्रेम में कुछ ऐसा रोचक घटित होता हुआ दिखना चाहिए कि देखने वाले के मन में तस्वीर के पीछे की कहानी जानने की उत्सुकता जगे। व्यूअर के मन में तस्वीर देखकर कोई कल्पना आकार ले, कोई भाव पैदा हो, तो ऐसे तस्वीरों को कुछ कहने वाली तस्वीर, यानी ‘स्टोरी-टेलिंग’ फोटो कह सकते हैं।
11. दो-तीन शॉट्स लीजिए
फोटो क्लिक होना क्षण में घटित हो जाने वाली बात है। अकसर कुछ न कुछ चूक हो जाती है, कुछ न कुछ छूट जाता है। जैसे, क्लिक करके वक्त कैमरा हिल सकता है, कैमरे का फोकस या आपका संतुलन बिगड़ सकता है, सब्जेक्ट का पोजिशन बदल सकता है या अचानक फ्रेम में कोई अनचाहा ऑब्जेक्ट आ सकता है। इसलिए, लगातार दो-तीन शॉट्स लेना सेफ रहता है।
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Pawan kumar
धन्यवाद!
Pawan kumar
आपका समझाने का तरीका और प्रयास लाजवाब है, धन्यवाद!
Mohit Verma
बहुत बढ़िया समझाया आपने
Preet Kumar Singh
बहुत ही ज्ञानवर्धक