कैनन या निकॉन में से किसे चुनें? पहली बार जिन्हें DSLR कैमरा खरीदना होता है, उनके सामने यह सवाल जरूर उठता है। यह सवाल बहुत कुछ वैसा ही है जैसे यह पूछना कि होंडा या यामहा बाइक में से किसे, या महिंद्रा और टाटा ब्रांडों में से किसे चुनें। कैमरा ब्रांड्स और भी हैं, जैसे Sony और Fujifilm, लेकिन यह सवाल Canon और Nikon को लेकर इसलिए उठते हैं क्योंकि ये दोनों दुनिया में सबसे अधिक खरीदे और उपयोग किए जाने वाले कैमरा ब्रांड़ हैं और इसलिए इनने नाम हमारे जेहन में सबसे पहले आते हैं।
कैनन और निकॉन दोनों कंपनियां आज दुनिया में सबसे अधिक कैमरे और लेंस बनाते हैं। इनके प्रॉडक्ट रेंज में हर प्रकार के कैमरे और लेंस शामिल हैं। पॉइंट & शूट पॉकेट कैमरा से लेकर बड़े फुल फ्रेम SLR – फिल्म से लेकर डिजिटल तक ये सब कुछ बनाते हैं।
दोनों ही कंपनियों की स्थापना मूलतः जापान में हुई थी, लेकिन आज ये प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रूप में दुनिया के कई देशों में अपने प्रॉडक्ट्स का निर्माण करती हैं। निकॉन कंपनी की स्थापना जापान में 1917 में हुई थी, वहीं कैनन की नींव 1937 में पड़ी, जापान में ही। यानी लगभग सौ सालों से दोनों कंपनियां दुनिया भर के लोगों की फोटोग्राफिक जरूरतों को पूरा करने में जुटी हैं।
निकॉन की शुरुआती महारत लेंस बनाने थी में और कैनन ऑटोफोकस लेंस का अगुवा रहा। आज भी निकॉन कंपनी कैमरा और उसके लेंस के अलावा दुनिया भर के लैब उपकरणों और टेलिस्कोपों के लिए लेंस बनाती है। निकॉन ने जहां अपन ध्यान केवल फोटोग्राफिक उपकरणों के विकास और निर्माण पर केंद्रित रखा वहीं दूसरी ओर कैनन ने कैमरे और लेंस की दुनिया से बाहर भी अपना विस्तार किया।
निकॉन ने जहां अपनी विशेषज्ञता कैमरा, लेंस, फ्लैश जैसे फोटोग्राफिक उपकरणों तक सीमित रखते हुए इन्हीं चीजों के निर्माण में अपने अनुभव और हुनर को गहराई दिया, वहीं कैनन ने कैमरों के अलावा प्रिंटर, स्कैनर, कैल्क्युलेटर, प्रॉजेक्टर और कंप्यूटर के निर्माण तक अपना लैटरल विस्तार किया। यह सही है कि कैनन ने पहली बार ऑटो फोकस लेंस तकनीक इजाद की, लेकिन निकॉन ने भी जल्द इस तकनीक से खुद को लैस कर लिया और आज उसके ऑटोफोकस लेंस कैनन से किसी भी मामले में पीछे नहीं हैं।
व्यावहारिक स्तर पर दोनों के फोटोग्राफिक उपकरणों की गुणवत्ता लगभग एक जैसी होने के बावजूद निकॉन के लिए आप यह कह सकते हैं कि केवल फोटोग्राफिक फील्ड में काम करते हुए इस क्षेत्र में उसकी स्पेशियलिटी कैनन की तुलना में अधिक निखरी हुई होगी, और इसे उसके उत्पादों की क्वालिटी में बढ़त के रूप में देखा जा सकता है। प्रैक्टिकली, किसी एक रेंज के दोनों ही ब्रांडों के कैमरे और लेंस के बारे में यह कहना मुश्किल होगा कि कौन उन्नीस है या कौन बीस।
आज दोनों ही कंपनियां समान धरातल पर खड़ी हैं और एक दूसरे को बराबर की टक्कर दे रही हैं। चाहे पॉइंट एंड शूट पॉकेट कैमरा हो या एंट्री लेवल और मिड रेंज के क्रॉप सेंसर DSLR या प्रोफेशनल फुलफ्रेम DSLR और SLR, फिर चाहे मिररलेस कैमरा, निकॉन और कैनन दोनों एक दूसरे के समकक्ष प्रॉडक्ट्स पेश करते हैं। दोनों के बीच जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा रहती है। आप खुद सोचकर देखिए आज के इस तेज कॉम्पिटिटिव मार्केटिंग के जमाने में कोई भी कंपनी अपने राइवल से उन्नीस रहकर बाजार में टिक सकती है क्या?
निकॉन या कैनन कैमरों के चयन की बात हो तो याद रखिए दोनों बस दो अलग ब्रांड नेम हैं। प्रॉडक्ट दोनों के एक जैसे हैं और दोनों आपस में बराबरी पर मुकाबला करते हैं। दोनों ब्रांड के कैमरों में फर्क बस बनावट, डिजायन और अर्गोनॉमिक्स का है। इसलिए आप दोनों में से किसी भी ब्रांड के कैमरे के साथ अपनी फोटोग्राफी यात्रा पर आगे बढ़ सकते हैं। आपको बस ये देखना है कि दोनों में से किसकी बनावट, डिजायन और अर्गोनॉमिक्स आप पसंद कर पाते हैं।
कैनन और निकॉन के बीच मुकाबले की होड़ ऐसी रहती है कि यदि इस साल निकॉन नए फीचर्स वाला कोई कैमरा लॉन्च कर दे तो अगले साल तक उसी टक्कर का कैमरा लेकर कैनन भी बाजार में हाजिर है!
कैनन या निकॉन सवाल ने मुझे भी परेशान किया था। मैंने अपना पहला कैमरा निकॉन चुना था, क्योंकि निकॉन की थोड़ी एंग्युलर बनावट और सामने की ओर शटर बटन के नीचे का लाल कर्व मुझे आकर्षित करता था। दूसरी बात यह थी कि वह कैमरा (Nikon D5100) निकॉन ने उस वक्त नया-नया लॉन्च किया था और इसलिए अपने फीचर के लिहाज से एंट्री लेवल में उस वक्त का वह सबसे बढ़िया DSLR था।
लेकिन अगर मुझे कैनन का चमकीला काला रंग और थोड़ा गोलाकार ली हुई सुडौल बनावट पसंद होती तो निश्चित रूप से मैं कुछ महीने रुककर उसी फीचर वाला कैनन DSLR खरीदता। विभिन्न रेंज वाले लेंस भी दोनों के एक जैसे समान फीचर्स और ऑप्टिकल क्वालिटी के होते हैं।
निकॉन के छोटे-बड़े सभी रेंज के लेंस ब्लैक कलर में आते हैं, जबकि कैनन ने अपने बड़े रेंज के कुछ लेंसों की बॉडी में व्हाइट कलर का प्रयोग किया है। कुछ लोगों को कैनन लेंसों का यह व्हाइट सर्कुलर पैच इतना पसंद आता है कि केवल इस कारण वे कैनन का चयन कर लेते हैं, जबकि मैंने ऐसे भी लोग देखे हैं जिन्हें लेंस बॉडी पर सफेद रंग बिल्कुल नहीं जंचता। तो, मामला बस आपके चॉइस का है।
तो क्या, हमें आंख मूंदकर कैनन या निकॉन में से कोई एक कैमरा चुन लेना चाहिए? बिल्कुल नहीं। आपको थोड़ा होमवर्क और सर्च करना चाहिए। सबसे पहले अपना बजट तय करें। फिर उस बजट लेवल में इस समय तक मार्केट में मौजूद दोनों ब्रांड के कैमरे के फीचर्स की ध्यान से जांच करें। अपनी जरूरत और पसंद के फीचर्स को तरजीह दें और यह भी तय करें कि दोनों में से कौन सा ब्रांड आपके हाथों को जंचता है।
बेशक निकॉन और कैनन दोनों के अर्गोनॉमिक्स यानी उपयोग करने की सहूलियत में फर्क होता है। दोनों ब्रांड के कैमरों में बटनों और डायल्स की बनावट और पोजिशनिंग अलग-अलग होती हैं। दोनों ब्रांड के कैमरे आपके हाथों में अलग-अलग फील देते हैं। अपनी पसंदगी के अनुसार आपको उनका चयन खुद से करना चाहिए।
हां, DSLR कैमरे का ब्रांड चुनते वक्त एक बड़ी अहम बात है जिसे आपको बेशक ध्यान में रखना होगा। आप DSLR कैमरा लेंगे तो लेंस भी लेंगे। कम से एक एक किट लेंस तो कैमरे के साथ आता ही है। फिर, भविष्य में अपनी रुचि और जरूरत के हिसाब से आप लेंस अपग्रेड करेंगे। आपको पहले से यह समझ लेना है कि जिस भी ब्रांड का कैमरा आप चुनेंगे भविष्य में लेंस भी आपको उसी ब्रांड के लेने होंगे (आमतौर पर एक ब्रांड के लेंस दूसरे ब्रांड के कैमरे में फिट नहीं होते)।
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