फोटोग्राफी में अपर्चर (Aperture) : एक्सपोजर ट्राएंगल (Exposure Triangle) का पहला स्तंभ!
फोटोग्राफी में लेंस का अपर्चर (Aperture)-‘एक्सपोजर ट्राएंगल ‘का सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर हैैै!
तस्वीर को फोटोजेनिक इफेक्ट देने में सबसे बड़ी भूमिका लेंस के अपर्चर की होती है!!
फ़ोटोग्राफी में इमेज का ब्राइट या डार्क होना एक्सपोजर (exposure) पर निर्भर करता है। एक्सपोजर वह आधार बिंदु है जहां से आप फ़ोटोग्राफी सीखने की शुरुआत करते हैं। फ़ोटो का बनना बिगड़ना सबसे अधिक जिस फैक्टर पर निर्भर करता है वह ‘एक्सपोजर’ है। फोटोग्राफ यानी तस्वीर का सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर होता है ‘एक्सपोजर‘, यानी- ‘फोटो फॉर्मेशन के लिए जरूरी लाइट’ और इस एक्सपोजर को निर्धारित करने वाले चार कारक होते हैं –
(i) लेंस का अपर्चर, (ii) कैमरे की शटर-स्पीड, (iii) कैमरे का ISO और (iv) सब्जेक्ट पर पड़ने वाली लाइट। इनमें से पहले तीन को ‘एक्सपोजर ट्राएंगल’ कहते हैं। ये तीन फैक्टर्स हैं जिनकी मदद से आप अपनी जरूरत के हिसाब से कैमरे में exposure सेट कर सकते हैं।
Exposure Triangle (एक्सपोजर ट्राएंगल)
(i) Aperture (अपर्चर)
(ii) Shutter Speed (शटर स्पीड) और
(iii) ISO (आईएसओ)
अपर्चर (Aperture) इनमें सबसे महत्वपूर्ण है, जो दरअसल कैमरे का नहीं बल्कि लेंस का फीचर है। लेंस का Aperture लेंस के अंदर उस छिद्र या सूराख को कहते हैं जिससे होकर लाइट कैमरे के भीतर इमेज सेंसर तक पहुंचती है। यह एडजस्टेबल सूराख होती है जिसके डायमीटर को कई सारे ब्लेड्स मिलकर कंट्रोल करते हैं। अपने DSLR कैमरे के लेंस के पिछले हिस्से में, अंदर रोशनी डालकर गौर से झांकिए तो आपको उस लेंस का अपर्चर साफ-साफ दिखाई देगा, जैसा कि ऊपर चित्र में दिख रहा है।
लेंस के अपर्चर (Aperture) की तुलना हम अपनी आंखों की पुतली (pupil) से कर सकते हैं जिससे होकर रोशनी अंदर जाती है और retina पर तस्वीर बनती है। लेंस जितना खुलता है यानी, Aperture जितना बड़ा होता है, उससे होकर लाइट की उतनी ही अधिक मात्रा गुजरती है। इस तरह लेंस का छिद्र (Lens Aperture) जितना बड़ा होगा कैमरे के इमेज-सेंसर को उतनी ही अधिक लाइट मिलेगी।
अपर्चर (Aperture) और f-number
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लेंस के Aperture को f नंबर से इंगित करते हैं। f नंबर जितना छोटा होगा लेंस का छिद्र उतना ही बड़ा होगा। इस कारण कैमरे के अंदर इमेज सेंसर को अधिक लाइट मिलेगी। इसके उलट, f नंबर जितना बड़ा होगा, लेंस का छिद्र उतना की कम खुलेगा। इस कारण इमेज सेंसर को कम लाइट मिलेगी।[photography Aperture in Hindi]
उदाहरण के लिए f/1.8 लेंस की तुलना में f/5.6 लेंस से होकर ज्यादा लाइट कैमरे के सेंसर या फिल्म तक पहुंचेगी। लेंस के f नंबर 1.8 का Aperture f नंबर 5.6 की तुलना में बड़ा होगा। इस तरह, f नंबर और अपर्चर में उलटा रिश्ता होता है। इसे अच्छी तरह याद कर लें। तकनीकी शब्दों में कहें तो f नंबर और अपर्चर inversely proportional होता है। लेंस का f नंबर जितना छोटा, Aperture उतना ही बड़ा और Aperture जितना बड़ा, उतनी अधिक लाइट!
लेंस का Maximum Aperture उसका सबसे महत्वपूर्ण फीचर है। यह जितना अधिक होता है यानी f नंबर जितना छोटा होता है, लेंस उतना ही महंगा होता है। उदाहरण के लिए, f/1.8 लेंस f/5.6 लेंस की तुलना में महंगे होंगे। लेंस का f नंबर लेंस के ऊपर लिखा होता है।
क्या कैमरे में Aperture एडजस्ट किया जा सकता है?
अपर्चर लेंस का फीचर है, लेकिन इसे सेट करने की सुविधा आपके कैमरे में होती है। हर लेंस में Lens Aperture की maximum और minimum लिमिट निर्धारित होती है। इस लिमिट के अंदर आप Aperture को अपनी जरूरत के मुताबिक सेट कर सकते हैं। सामान्य ‘पॉइंट & शूट कम्पैक्ट डिजिटल कैमरा’ में यह ऑटोमैटिकली सेट होता है। फिल्म या डिजिटल SLR कैमरों में आप इसे कैमरे के कमांड डायल या अन्य बटन की मदद से अपनी जरूरत के हिसाब से सेट कर सकते हैं।[photography Aperture in Hindi]
‘पॉइंट & शूट’ कैमरे का लेंस कैमरे के साथ अटैच्ड होता है। यह उसका अभिन्न हिस्सा होता है जिसे हम अलग नहीं कर सकते। SLR या DSLR में हम अपनी जरूरत के हिसाब से अलग-अलग f नंबर वाले अलग-अलग लेंस अटैच कर सकते हैं। मैनुअल मोड वाले कैमरे के यूजर मैनुअल में अपर्चर सेट करने का तरीका दिया होता है, जो हर कैमरे के लिए अलग-अलग होता है।
फोटोग्राफी में अपर्चर (Aperture) क्यों महत्वपूर्ण है?
(i) Exposure के लिए
अपर्चर (Aperture) एक्सपोजर ट्राएंगल का पहला फैक्टर है। जैसा कि हमने देखा, लेंस का Aperture इमेज सेंसर को मिलने वाली लाइट की मात्रा को नियंत्रित करता है। इस तरह, Aperture फोटो के exposure कंट्रोल का एक महत्वपूर्ण फैक्टर है। जरूरत के हिसाब से अपर्चर वैल्यू सेट कर फोटो को मनचाहा एक्सपोजर देना संभव होता है। f/2.8 या उसके कम f नंबर रखकर रात के समय कम रोशनी में अच्छी तस्वीरें ली जा सकती हैं। दिन के समय तेज धूप में f नंबर बढ़ाकर एक्सपोजर कंट्रोल किया जा सकता है।
(ii) DoF कंट्रोल के लिए
अपर्चर वैल्यू को एडजस्ट कर फोटो में मनचाहा Depth of Field (DoF) पाया जा सकता है।
अपर्चर बड़ा, यानी f नंबर छोटा रखकर तस्वीर में आप shallow DoF पा सकते हैं। प्लेन बैकग्राउंड वाली ऐसी तस्वीरें पोर्ट्रेट या आर्टिस्टिक फ्रेम के लिए बहुत आकर्षक होती है। अपर्चर छोटा, यानी f नंबर बड़ा रखकर wide DoF पाया जा सकता है जिसमें पूरा फ्रेम शार्प फोकस में रहता है। शार्प फोकस वाली ऐसी तस्वीरें लैंडस्केप के लिए आइडियल होती हैं।
(iii) शार्प तस्वीर पाने के लिए
गतिमान सब्जेक्ट की शार्प तस्वीर लेनी हो तो अपर्चर का f नंबर बढ़ाना सही रहता है। जैसे यदि आप उड़ती चिड़िया या मैदान में तेजी से भागती गेंद की शार्प तस्वीर पाना चाहते हैं तो आपको अपर्चर वैल्यू f/8 या f/10 रखना चाहिए।
ध्यान रखें : Aperture वैल्यू चेंज करने पर केवल Exposure ही नहीं, बल्कि उसके साथ-साथ Depth of Field भी बदलता है। [photography Aperture in Hindi]
और पढ़ें-
- एक्सपोजर (Exposure) क्या है?
- Shutter Speed (शटर स्पीड) : photography basics in Hindi…
- ISO (आइएसओ) : photography basics in Hindi…
- ‘डेप्थ ऑफ फ़ील्ड’ (DoF) /Depth of Field…
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Jetendra prajapat
Very nice sir
Chiku Kumar
Nice Article Bro,
Raat ke samay me yadi photos click karna ho to ek DSLR ke liye best setting kya rahega
Admin
Thanks Chiku for your appreciation. रात के समय भी फोटोग्राफी की सिचुएशन अलग-अलग होती है, लेकिन आम तौर पर यदि आप अपने कैमरे के ISO को 1600-3200 रखें और लेंस के f नंबर को जितना पॉसिबल हो कम रखें (जैसे कि 1.8, 2.0 या 2.8) तो रात के समय कम लाइट में भी मनचाही फोटो खींची जा सकती है।
Jalaj Pandey
nice article bro
Admin
Thanks, Jalaj!