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डेप्थ ऑफ फील्ड (फोटोग्राफी में DoF) क्या है?

depth of filed (DoF) in Hindi

फोटोग्राफी में ‘डेप्थ ऑफ फील्ड’ (DoF) क्या है? [Photography Depth of Field in Hindi] 

फोटोग्राफी में ‘डेप्थ ऑफ फील्ड’ (DoF) ऐसा टर्म है जिसका इस्तेमाल फोटो की खूबियां बताने में अक्सर किया जाता है। Depth of Field का ही शॉर्ट फॉर्म DoF है। डेप्थ ऑफ फील्ड को सही ढंग से कंट्रोल कर आप अपने फोटोग्राफिक एक्सप्रेशन को और अधिक निखार सकते हैं। डेप्थ ऑफ फील्ड की जानकारी और फोटोग्राफी के दौरान उसका सही इस्तेमाल कैसे करें यही इस आर्टिकल का विषय हैैै।

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आपने दो तरह की तस्वीरों पर गौर किया होगा। एक वह, जिसमें तस्वीर के अंदर ज्यादातर चीजें शार्प फोकस में होती हैं, यानी स्पष्ट दिखाई पड़ती हैं। जैसे कि यह-

wide ‘डेप्थ ऑफ फ़ील्ड’ (DoF)

दूसरी वह, जिसमें तस्वीर के अंदर केवल मुख्य सब्जेक्ट शार्प फोकस में होता है, बाकी चीजें धुंधली दिखाई पड़ती हैं। जैसे कि यह-

shallow’ डेप्थ ऑफ फ़ील्ड’ (DoF)

यहां इमेज-1 को ‘wide Depth of Field’ वाली तस्वीर कहेंगे। जबकि, इमेज-2 ‘shallow Depth of Field’ या ‘narrow Depth of Field’ वाली तस्वीर कहलाएगी।

इस तरह, किसी भी तस्वीर का डेप्थ ऑफ फील्ड यह बतलाता है कि उस तस्वीर का कितना बड़ा हिस्सा शार्प फोकस में है।

‘wide Depth of Field’ (wide DoF) वाली तस्वीर में बड़ा हिस्सा शार्प फोकस में रहता है। जबकि, ‘shallow Depth of Field’ (shallow DoF) वाली तस्वीर का कोई एक मुख्य हिस्सा ही शार्प फोकस में रहता है और बाकी हिस्सा ‘आउट ऑफ फोकस’ होने के कारण धुंधला या प्लेन होता है।

आपने गौर किया होगा, ‘shallow Depth of Field’ वाले पोर्ट्रेट्स ज्यादा अच्छे लगते हैं। जबकि, लैंडस्केप के लिए wide Depth of Field बढ़िया होता है, क्योंकि वहां फोटोग्राफर का मकसद व्यूअर को लैंडस्केप का हर हिस्सा दिखाना होता है। इस तरह, सही डेप्थ ऑफ फील्ड का इस्तेमाल कर आप अपने सब्जेक्ट को अधिक प्रेजेन्टेबल बना सकते हैं।

डेप्थ ऑफ फील्ड (DoF) इतना क्यों महत्वपूर्ण है?

‘Depth of Field’ और उसके महत्व को समझ लेने के बाद प्रश्न उठता है कि इसे आप कैसे कंट्रोल कर सकते हैं।

इसके लिए उन फैक्टर्स को समझना होगा जिनसे फोटोग्राफ का ‘डेप्थ ऑफ फील्ड’ निर्धारित होता है। इन कारकों को समझने के बाद इनमें बदलाव कर आप इमेज में मनचाहा डेप्थ ऑफ फ़ील्ड (DoF) पा सकते हैं। आइए इन कारकों को जानें और यह भी समझें कि ‘DoF’ को वे किस तरह प्रभावित करते हैं।

डेप्थ ऑफ फील्ड (DoF) निर्धारित करने वाले फैक्टर्स:

कैमरा से सब्जेक्ट की दूरी

आप सब्जेक्ट के जितना पास जाकर तस्वीर लेंगे ‘DoF’ उतना ही shallow होगा यानी, सब्जेक्ट को प्लेन बैकग्राउंड मिलेगा। जबकि, सब्जेक्ट से दूरी बढ़ाकर आप डेप्थ ऑफ फील्ड बढ़ा सकते हैं। सब्जेक्ट पर निकट से फोकस कर आप उसे उसके बैकग्राउंड से अलग कर प्रमुखता से उभार सकते हैं। इसके लिए सबसे बढ़िया और किफायती तरीका है सब्जेक्ट के पास जाना। दूसरी तरफ, आप बड़े फोकल लेंथ का इस्तेमाल कर भी यह रिजल्ट पा सकते हैं, लेकिन तब तस्वीर में सब्जेक्ट के पीछे सीन का फैलाव अपेक्षाकृत कम होगा।

सब्जेक्ट से बैकग्राउंड की दूरी

सब्जेक्ट से बैकग्राउंड जितना दूर होगा फोटो का ‘DoF’ उतना ही shallow होगा। जबकि, यदि बैकग्राउंड सब्जेक्ट के निकट हो तो आपको wide डेप्थ ऑफ फील्ड मिलेगा। इसलिए shallow ‘DoF’ पाने के लिए फोटो खींचते वक्त सब्जेक्ट के पीछे खाली जगह का ध्यान रखें। कोशिश करें कि फोटो इस एंगल से लिया जाए या सब्जेक्ट को ऐसी जगह रखा जाए जहां उसके पीछे यथासंभव दूर तक कोई दूसरा ऑब्जेक्ट न हो।

लेंस का फोकल लेंथ

आप जितने बड़े फोकल लेंथ पर तस्वीर लेंगे आपको ‘DoF’ उतना ही shallow मिलेगा। जबकि, फोकल लेंथ जितना छोटा होगा ‘DoF’ उतना ही वाइड होगा। यदि आप किट लेंस का इस्तेमाल करते हैं तो उसके अधिकतम फोकल लेंथ पर फोटो लेने से शैलो डेप्थ ऑफ फील्ड पाया जा सकता है। जैसे यदि आप 18-55mm किट लेंस का इस्तेमाल करते हैं तो आप पाएंगे उस लेंस पर सबसे अधिक shallow डेप्थ ऑफ फील्ड उसके मैक्सिमम जूम यानी 55mm पर मिलता है।

लेंस का Aperture

अपर्चर वैल्यू एडजस्ट कर फोटो में मनचाहा Depth of Field (DoF) पाया जा सकता है। 
अपर्चर बड़ा, यानी f नंबर छोटा रखकर तस्वीर में आप shallow DoF पा सकते हैं। प्लेन बैकग्राउंड वाली ऐसी तस्वीरें पोर्ट्रेट या आर्टिस्टिक फ्रेम के लिए बहुत आकर्षक होती है। अपर्चर छोटा, यानी f नंबर बड़ा रखकर wide DoF पाया जा सकता है जिसमें पूरा फ्रेम शार्प फोकस में रहता है। शार्प फोकस वाली ऐसी तस्वीरें लैंडस्केप के लिए आइडियल होती हैं।

लेंस का अपर्चर जितना बड़ा, यानी लेंस का f नंबर जितना छोटा होगा तस्वीर का ‘DoF’ उतना ही shallow होगा। जबकि, छोटा अपर्चर या बड़ा f नंबर wide ‘DoF’ देता है। यही कारण है कि पोर्ट्रेट और आर्टिस्टिक तस्वीरों के लिए प्रायः छोटा से छोटा f नंबर (जैसे f /1.4, f /1.8) लेते हैं, जबकि लैंडस्केप जैसे फ्रेम के लिए जहां सब कुछ फोकस में रखना होता है, बड़ा f नंबर (f /11, f /16) चुना जाता हैं।

इमेज सेंसर की साइज़

कैमरे का इमेज सेंसर जितना बड़ा, ‘डेप्थ ऑफ फ़ील्ड’ (DoF) उतना ही shallow होगा। आपने गौर किया होगा, मोबाइल फोन से ली गई तस्वीरों में प्रायः सबकुछ फोकस में होता है यानी, आपके लिए shallow Depth of Field पाना मुश्किल होता है। इसका सबसे बड़ा कारण मोबाइल फोन के इमेज सेंसर का छोटा होना है। यही वजह है कि डीएसएलआर जैसे बड़े सेंसर वाले कैमरे से प्लेन बैक ग्राउंड वाली तस्वीरें पाना आसान होता है।

यहां आपको एक बात ध्यान रखनी चाहिए। कैमरा से सब्जेक्ट की दूरी, सब्जेक्ट से बैकग्राउंड की दूरी और लेंस के मैक्सिमम फोकल लेंथ की मदद से आप चाहें तो किसी भी साधारण कैमरे, यहां तक कि मोबाइल फोन कैमरे से भी, अपनी फोटो में सुंदर shallow डेप्थ ऑफ फील्ड पा सकते हैं। बस इसके लिए जरूरी है, कैमरा सब्जेक्ट के यथासंभव बिल्कुल निकट रहे, सब्जेक्ट के पीछे दूर तक खुला बैकग्राउंड हो और आप कैमरे (लेंस) के मैक्सिमम ज़ूम का इस्तेमाल करें।

तो इस तरह, फोटोग्राफी में ‘डेप्थ ऑफ फ़ील्ड’ (DoF) एक बेहद महत्वपूर्ण कारक है। ‘DoF’ को समझ कर और ऊपर बताए इसके सभी 5 फैक्टर्स के साथ प्रैक्टिस कर आप अपनी तस्वीर के लिए मनचाहा डेप्थ ऑफ फील्ड पा सकते हैं।

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