फोटोग्राफी क्या है? आप कहेंगे यह भी कोई सवाल हुआ। सबको पता है कैमरे से फोटो लेना ही तो फोटोग्राफी है। बिल्कुल सही बात है। लेकिन, सिर्फ इतनी सी बात के लिए एक पूरा आलेख क्यों? दरअसल, इस आलेख का उद्देश्य है फोटोग्राफी के इतिहास, विभिन्न रोचक पहलुओं और फोटोग्राफी के उद्देश्य से आपको संक्षेप में परिचित कराना। इससे, फोटोग्राफी से जुड़ाव के अपने शुरुआती दौर में ही आपके दिमाग में फोटोग्राफी की एक समग्र समझ तैयार होगी।
फोटोग्राफी का इतिहास, स्कोप और उपयोगिता / Introduction to photography in Hindi
फोटोग्राफी क्या है? Photography का इतिहास, स्कोप और महत्व
1.फोटोग्राफी क्या है?
दो ग्रीक शब्दों (photo+graph) से बना ‘फोटोग्राफी’ का अर्थ है ‘फोटो’ यानी प्रकाश (Light) की मदद से ‘ग्राफ’ यानी चित्र तैयार करना। बेसिकली, इसमें होता यह है कि वस्तु से टकराकर (reflect होकर) लौटने वाली किरणें लेंस के जरिए कैमरे के अंदर नेगेटिव-फिल्म या डिजिटल सेंसर तक पहुंचती है और वस्तु की तस्वीर बनती है। नेगेटिव फिल्म में तस्वीर केमिकल प्रॉसेस से (फिल्म पर लगे फोटो-सेंसिटिव केमिकल के कारण) बनती है। जबकि, डिजिटल कैमरे में यही काम इलेक्ट्रॉनिक विधि से इमेज सेंसर करता है।
फोटोग्राफी में आपको जो भी करना है प्रकाश यानी लाइट की मदद से करना है। चित्रकार अपनी चित्रकारी ‘रोशनी में’ करता है, लेकिन फोटोग्राफर अपनी चित्रकारी ‘रोशनी से‘ करता है। फोटोग्राफी में रोशनी एक रॉ-मटीरियल (कच्चा माल) की तरह है जिसका इस्तेमाल कर फोटो बनाई जाती है। इस तरह फोटोग्राफी रोशनी के उपयोग की कला है। आप लाइट यूज करने का स्किल जितना विकसित करेंगे आपकी फोटोग्राफी उतनी विकसित होगी।
आम तौर पर एक नया फोटोग्राफर यही सोचता है कि बढ़िया फोटो वह है जो शार्प हो और जिसमें भरपूर डीटेल्स हों। लेकिन नहीं, सही मायने में एक बढ़िया फोटो वह होती है जो देखने वाले के ऊपर प्रभावी असर पैदा करती है। ‘फोटोग्राफी क्या है’ इस सवाल के जवाब में हमारा मानना है कि फोटोग्राफी केवल किसी वस्तु का हू-ब-हू चित्र खींच लेना नहीं है, बल्कि यह एक मीडियम (माध्यम) है जिसके जरिए अपनी बात कही जा सकती है, अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया जा सकता है; वस्तु, व्यक्ति या दृश्य के सौंदर्य को दर्ज किया जा सकता है और किसी परिस्थिति या घटना के सच को दुनिया के सामने लाया जा सकता है। इस तरह, फोटोग्राफी एक आर्ट-फॉर्म है, एक कला है, एक मीडियम।
फोटोग्राफी क्या है? फोटोग्राफी में क्या महत्व पूर्ण है?
2.फोटोग्राफी में अवलोकन या प्रेक्षण (Observation) का महत्व
“Photography helps people to see.”
-Berenice Abott
‘फोटोग्राफी क्या है’ इसे समझने के लिए कुछ मौलिक बातों को समझना जरूरी है। किसी भी अन्य आर्ट-फॉर्म की तुलना में फोटोग्राफी में ‘देखने’ (Observation) का महत्व सबसे अधिक है। चीजें जैसी सामान्य तौर पर दिखती हैं हू-बू-हू उन्हें वैसा ही दिखाने में कुछ भी अनोखा नहीं है, क्योंकि वैसा तो हर कोई देख सकता है। असल महत्व है चीजों को उस नजरिए से देखना जिससे उनके अर्थ खुलते हों। अमेरिकी फोटोग्राफर बेरेनिस अबोट मानती थींं कि ‘फोटोग्राफी लोगों को देखने में मदद करती है’, यानी देखना सिखाती है। इस लिहाज से फोटोग्राफी ‘देखने की कला’ (Art of Seeing) है।
इसमें सफल फोटोग्राफर वही है जो चीजों को केवल प्रेक्षक (Observer) के नजरिए से नहीं बल्कि एक कलाकार के नजरिए से भी देखे। यही है फोटोग्राफी का सार-तत्व। इसलिए एक कलाकार बेहद साधारण कैमरे से भी बेहतरीन तस्वीर का निर्माण कर सकता है जबकि एक सामान्य फोटोग्राफर तस्वीर के शार्पनेस, चमक, लाइट और डीटेल्स में ही उलझा रह जाता है। इसलिए एक बढ़िया और सार्थक फोटोग्राफर बनने के लिए चित्रकला का अध्ययन करना चाहिए। उसके सिद्धांतों को समझना चाहिए और कलाकार वाली नजर पैदा करनी चाहिए।
3.फोटोग्राफी में सब्जेक्ट और स्टोरी-टेलिंग का महत्व
आम तौर पर लोग यह समझते हैं कि बढ़िया महंगे कैमरा और लेंस से ली गई साफ-सुथरी चमचमाती हाई क्वालिटी फोटो बेहतरीन फोटोग्राफी का नमूना होती है। लेकिन बात दरअसल ऐसी नहीं है। टेक्निकली फोटो कितनी भी हाई क्वालिटी की हो लेकिन उसमें यदि व्यूअर के लिए कोई संदेश ही न हो तो सब बेकार है। फोटो में सब्जेक्ट का महत्व होता है। फोटो की सुंदरता, बढ़िया एक्सपोजर, लाइट, चमक और डीटेल्स ये सारी बातें बाद में आती हैं। अपनी तस्वीर के जरिए आप क्या दिखा रहे हैं यह महत्वपूर्ण होता है।
साधारण कैमरे, यहां तक कि साधारण स्मार्ट फोन से भी ली गई तस्वीर धूम मचा सकती है यदि उसका आधार कोई दमदार सार्थक सब्जेक्ट हो या जिसके पीछे कोई मजबूत कहानी हो, या कोई ऐसा भाव या कोई ऐसा सौंदर्य जो देखने वाले के मन को छू ले। तस्वीर ऐसी होनी चाहिए जिसमें कोई स्टोरी हो, या जिसे देखकर व्यूअर को भावनात्मक अनुभूति मिले, या कुछ ऐसा जो जीवन के किसी अनदेखे पक्ष को उजागर करता हो।
फोटोग्राफी को औजार बनाकर ऐसा बहुत कुछ किया जा सकता है जिससे दर्शक को जीवन और जगत से जुड़ने की प्रेरणा मिले। फोटोग्राफी के जरिए सामाज और पर्यावरण की समस्या की तरफ लोगों का ध्यान खींचा जा सकता है। फोटोग्राफी के जरिए व्यक्ति और समाज के जीवन में बदलाव लाया जा सकता है, सार्थक संदेश दिया जा सकता है, और यह फोटोग्राफी की सबसे बड़ी ताकत भी है।
[फोटोग्राफी क्या है: Photography का इतिहास]
4.फोटोग्राफी का इतिहास : तकनीकी विकास
यह सही है फोटोग्राफी एक कला है लेकिन चित्रकारी, संगीत, नृत्य और रंग-मंच के विपरीत इसे तकनीक पर अधिक आधारित रहना पड़ता है। सिनेमा-आर्ट की तरह इसके लिए भी कैमरा, प्रकाश और तस्वीर बनाने वाले फोटो-मीडियम (नेगेटिव-फिल्म या इलेक्ट्रॉनिक सेंसर) जरूरी होते हैं। लिहाजा, फोटोग्राफी के इतिहास को कैमरा-टेक्नोलॉजी के विकास के साथ-साथ चलना पड़ा।
कैमरा का आदि रूप कैमरा ऑब्स्क्योरा (camera obscura) के रूप में 16शताब्दी या उससे भी पहले अस्तित्व में आ चुका था। यह यूरोप के कलाकारों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक डार्क चैंबर या अंधेरा कमरा होता था। इसमें एक छोटा सा छेद रहता था और छेद के सामने डार्क चैंबर के अंदर सफेद दीवार या पर्दा होता था। छेद से होकर बाहर के दृश्य या सब्जेक्ट से रिफ्लेक्ट होकर प्रकाश डार्क चैंबर में प्रवेश करता था और पर्दे पर दृश्य या सब्जेक्ट की छाया-आकृति (shadow image) बनती थी जिसकी मदद से डार्क चैंबर में बैठे आर्टिस्ट अपनी पेंटिंग तैयार करते थे। यह तस्वीर अस्थायी होती थी और तभी तक रहती थी जब तक डार्क रूम के अंदर प्रकाश आता था।
पहली बार एक डच वैज्ञानिक विल्हेम होमबर्ग (Wilhelm Homberg) ने 1694 में अपने प्रयोगों में पाया कि सिल्वर नाइट्रेट और सिल्वर क्लोराइड या सिल्वर ब्रोमाइड जैसे कुछ केमिकल्स का स्वरूप उनके ऊपर प्रकाश पड़ने से बदल जाता है। यानी, उनमें फोटो-केमिकल बदलाव आते हैं। इसी तथ्य का लाभ उठाकर कैमरा ऑब्सक्योरा में बनने वाली छाया-आकृति को उन केमिकल्स की मदद से स्थायी चित्र में बदलने का आइडिया सूझा।
1816 में फ्रांस के Joseph Nicéphore Niépce (जोसफ निसेफर निप्स) ने कैमरा ऑब्सक्योरा में बनने वाले चित्र के लिए साधारण कागज की बजाए सिल्वर क्लोराइड (AgCl) की लेप चढ़े कागज का इस्तेमाल किया। वह चित्र सिल्वर क्लोराइड लगे कागज पर स्थायी रूप से अंकित हुआ और इस तरह दुनिया में पहली बार फोटो को स्थायी रूप से कागज पर प्राप्त करने की तकनीक इजाद हुई! सिल्वर क्लोराइड (AgCl) एक फोटो सेंसिटिव केमिकल है जिसपर रोशनी की किरण पड़ने से एक खास तरीके से फोटो-केमिकल रिएक्शन होता है, जिसकी मदद से तस्वीर बनती है। इस तरह, निप्स ने फोटो को स्थायी रूप से कागज पर प्राप्त कर व्यावहारिक फोटोग्राफी की नींव डाली। उन्होंने अपनी फोटोग्राफिक प्रॉसेस को हीलियोग्राफी (Heliography) नाम दिया।
निप्स के बाद उनके काम को फ्रांस में ही Louis Jacques Mandé Daguerre (लुई जैक मैंडी डैगियर) ने आगे बढ़ाया। लुई डैगियर ने प्रक्रिया को और आसान बनाकर उसका व्यावसायिक इस्तेमाल संभव किया। लुई डैगियर की विकसित की हुई प्रोटोग्राफी प्रक्रिया ‘डैगियरटाइप’ (Daguerreotype) के नाम से प्रसिद्ध हुई और उसके बनाए हुए फोटोग्राफ ‘डैगियरटाइप’ तस्वीरें कहलाईं। इसमें सिल्वर-कोटेड कॉपर प्लेट का इस्तेमाल किया जाता था। दुनिया में 1839 से 1860 तक इसी विधि से फोटो तैयार किए गए।
इसके बाद कोलोडियन (collodion) मेथड का दौर आया जिसका आविष्कार इंगलैंड के फ्रेडरिख स्कॉट आर्चर ने किया और बच्चों के लिए लिखने वाले लेविस कैरोल ने इस विधि से अनेक फोटो तैयार किए। इस विधि में फोटो-सेंसिटिव मटीरियल को गीले चिपचिपे रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इसलिए इसे ‘collodion wet plate’ प्रॉसेस कहा गया। यह फोटो-नेगेटिव का उस जमाने के हिसाब से सुधरा हुआ रूप था।
फोटोग्राफी की विधियां 19वीं शताब्दी (1800s) तक लोकप्रिय नहीं हो पाई थीं। 20वीं शताब्दी (1900s) की शुरुआत तक अपनी जटिल और लंबी प्रक्रियाओं के कारण यह आम लोगों के वश के बाहर थी। इस समय तक कैमरा लकड़ी के एक भारी बक्से की शक्ल में था।
लेकिन 20वीं शताब्दी फोटोग्राफी में क्रांति का दौर लेकर आई जब अमेरिका के जॉर्ज ईस्टमैन ने Eastman Kodak कंपनी की स्थापना कर छोटे और हल्के फोटोग्राफी रिल वाले Kodak कैमरे बनाने शुरू किए। सन 1900 में Kodak के Brownie box camera ने आकर फोटोग्राफी की दुनिया में उस जमाने के हिसाब से क्रांति ला दी। हम अपने पुराने फिल्म-रील वाले कैमरों में जो रील (Reel) लगाया करते थे उसका आविष्कार इसी Eastman Kodak ने किया था। फिर बाजार में ‘लीका’ (Leica) और ‘आर्गस’ जैसी कैमरा बनाने वाली दूसरी कंपनियां भी आ गईं।
यह था ब्लैक & व्हाइट फोटो का जमाना, लेकिन फिर जल्द ही 1935 में Kodak ने अपना Kodachrome कलर फिल्म पेश किया और इसके बाद कलर फोटो युग की शुरुआत हुई। SLR आए, लेंसों में सुधार हुए इस तरह कैमरों में लगातार सुधार होते गए, सुविधाएं और फीचर्स जुड़ते गए। फिर डिजिटल तकनीक विकसित होने लगी।
1980 के दशक में फोटो-रील की जगह डिजिटल इमेज सेंसर वाले डिजिटल कैमरों ने ले लिया। यह सही मायने में फोटोग्राफी की दुनिया में एक जन-क्रांति थी क्योंकि इसके बाद फोटोग्राफी हर आम आदमी के हाथों तक पहुंच गई। अब कैमरे में रील लोड करने और फिर डार्क-रूम में नेगेटिव से फोटो तैयार करने की बाध्यता खत्म हो गई। डिजिटल कैमरों के साथ-साथ डेस्कटॉप/लैपटॉप कंप्यूटरों के सुलभ हो जाने से हर किसी के लिए फोटोग्राफर बन जाना संभव हो गया।
5.फोटोग्राफी की विकास यात्रा – शुरुआती दौर के फोटोग्राफर्स
हमें कुछ ऐसे महान फोटोफग्राफर्स को जानना चाहिए जिन्होंने एक आर्ट-फॉर्म और मीडियम के तौर पर फोटोग्राफी को दुनिया भर में पहचान दिलाने में बड़े अहम रोल निभाए।
अल्फ्रेड स्टिग्लिट्ज (Alfred Stieglitz), अमेरिका : इन्होंने फोटोग्राफी को कला के रूप में, क्रिएटिव मीडियम के रूप में इस्तेमाल किया। फोटोग्राफी को कला का माध्यम बनाने में उनकी भूमिका सदैव याद की जाएगी। उन्होंने साबित किया कि फोटोग्राफर कलाकार हो सकते हैं और फोटोग्राफी के जरिए भावनाओं को उसी तरह व्यक्त करना संभव है जैसे कि पेंटिंग, संगीत आदि द्वारा किया जा सकता है।
ऐंसल एडम्स (Ansel Adams), अमेरिका : शुरुआती दौर में जब फोटोग्राफी इंसानी पोर्ट्रेट तक सीमित थी, ऐंसल एडम्स ने अपना कैमरा प्राकृतिक दृश्यों और लैंडस्केप की ओर फोकस किया। इन्हें ‘फादर ऑफ लैंडस्केप फोटोग्राफी’ कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। प्राकृतिक दृश्यों की इनकी फोटोग्राफी ने अमेरिका में शुरुआती दौर के पर्यावरण संरक्षण अभियानों में महत्वपूर्ण सहयोग दिया।
रॉबर्ट कापा (Robert Capa), हंगरी : रॉबर्ट कापा शुरुआती दौर के उन दुर्लभ फोटोग्राफरों में सबसे प्रमुख हैं जिन्होंने युद्ध की विभीषिका को अपना विषय बनाया। उन्होंने अपनी फोटोग्राफी के जरिए युद्ध की भयानकता दिखाकर दुनिया के सामने सबूत पेश किए कि युद्ध के कारण मानवता पर कितना कुछ बीतता है। द्वितीय विश्वयुद्ध (World War II), चीन-जापान युद्ध, अरब-इजरायल युद्ध आदि की विभीषिका की स्टिल-डॉक्युमेंट्री विश्व इतिहास में कापा का अविस्मरणीय योगदान है।
डोरोथी लैंज (Dorothea Lange), अमेरिका : डॉक्युमेंट्री फोटोग्राफी के विकास में डोरोथी लैंज के काम हमेशा याद किए जाएंगे। 1930 के दशक में दुनिया भर में छाई ऐतिहासिक आर्थिक मंदी के प्रभावों को उजागर करने वाले कुछ प्रमुख तस्वीरें आज भी दुनिया भर के डॉक्युमेंट्री फोटोग्राफर्स को प्रेरणा देती हैं।
हेनरी कार्टियर ब्रेसों (Henri Cartier Bresson), फ्रांस : हेनरी कर्टियर ब्रेसों को ‘स्ट्रीट-फोटोग्राफी’ और ‘Candid Photography’ का प्रणेता माना जाता है। आधुनिक फोटोजर्नलिज्म के विकास में इनकी निर्णायक भूमिका रही। इन्होंने सड़कों और गलियों में घूम-घूम कर आम आदमी के जीवन के दुर्लभ पलों को (जिन्हें वे Decisive Moment कहते थे) फोटोग्राफी के जरिए उजागर किया।
मौजूदा समय में स्टीव मैककरी (Steve Mccurry) ने दुनिया भर में और भारत में रघु राय ने अपने समय का इतिहास और जनजीवन की कहानी दर्ज करने में फोटोग्राफी का बेहतरीन इस्तेमाल किया है।
6.फोटोग्राफी के विभिन्न फील्ड्स
फोटोग्राफी आधुनिक मनुष्य के जीवन के अनेक पहलुओं को छूता है। लोगों के पोर्ट्रेट (व्यक्ति-चित्र) तैयार करने, रोजमर्रा के जीवन, परिवारिक क्षणों और सामाजिक घटनाओं को चित्रित करने में फोटोग्राफी की भूमिका से हम सब परिचित हैं। लेकिन आज फोटोग्राफी की उपयोगिता अन्य अनेक क्षेत्रों में अनिवार्य है। फोटोग्राफी क्या है और हमारे जीवन में क्या है उसकी उपयोगिता, इसे समझने के लिए इसके विभिन्न एप्लायड फील्ड्स पर एक नजर डालें –
- फोटो-जर्नलिज्म और प्रेस फोटोग्राफी – पत्रिकाओं-अखबारों के लिए की जाने वाली फोटोग्राफी
- फैशन फोटोग्राफी – मॉडलिंग और फैशन से जुड़ी
- विज्ञापन (Advertisement) / इंडस्ट्रियल फोटोग्राफी – विभिन्न उद्योगों के उत्पादों और मार्केट प्रॉडक्ट्स की फोटोग्राफी
- स्टूडियो फोटोग्राफी – रोजमर्रा के विभिन्न जरूरतों में ह्यूमन पोर्ट्रेट या ग्रुप फोटोग्राफ के लिए
- वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी – जीव-जंतुओं और उनके पर्यावास (habitats) का डॉक्युमेंटेशन
- फोरेंसिक फोटोग्राफी – आपराधिक अनुसंधान में पुलिस की सहायता के लिए
- साइंस फोटोग्राफी – विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के साइंटिफिक रिसर्च और प्रयोगशाला गतिविधियों की फोटोग्राफी
- फिल्म फोटोग्राफी – फिल्म शूटिंग के विभिन्न चरणों और फिल्मी हस्तियों और कलाकारों की फोटोग्राफी
- ईवेंट फोटोग्राफी –विभिन्न अवसरों, समारोहों, पारिवारिक उत्सवों, समागमों, पार्टी, विवाह आदि की फोटोग्राफी
- स्टॉक फोटोग्राफी – स्टॉक फोटो एजेंसियों के लिए की जाने वाली फोटोग्राफी जो ऑनलाइन फोटो लाइब्रेरी की तरह होती हैं।
- मरीन फोटॉग्राफी – समुद्र के अंदर की जाने वाली फोटोग्राफी
7.फोटोग्राफी के जरूरी साधन
फोटोग्राफी की दुनिया में नया कदम रखने वालों के लिए इस बात का अंदाजा होना जरूरी है कि आधुनिक फोटोग्राफी के विभिन्न क्षेत्रों के लिए किन साधनों की आवश्यक पड़ती है। फोटोग्राफी के लिए विभिन्न प्रकार के कैमरों और हर तरह की जरूरतों के लिए अलग-अलग किस्मों के लेंस के अलावा भी बहुत सारे टूल्स और एक्सेसरीज तथा अन्य जरूरी चीजें होती हैं-
कैमरा | लेंस | फ्लैश | विभिन्न प्रकार की लाइटिंग | डिफ्यूजर्स | फिल्टर्स | बैटरी-पैक | ट्राइपॉड | मोनोपॉड | कैमरा बैग | स्ट्रैप | रेन-शील्ड | सफाई किट etc.
फिल्म-रील वाले कैमरे से की जाने वाले फोटोग्राफी के लिए फोटो की धुलाई और डार्क-रूम टेक्नीक का ज्ञान जरूरी होता है। अपना डार्क-रूम स्थापित करने के लिए उससे संबंधित ज्ञान के अलावा विभिन्न प्रकार के उपकरणों और रसायनों की आवश्यकता पड़ती है। हालांकि, ऐसा करने की बजाए हम फोटो लैब में नेगेटिव रोल्स डेवलप करा सकते हैं।
डिजिटल फोटोग्राफी का आज व्यापक प्रचलन है। इसके लिए Photoshop या Lightroom जैसे सॉफ्टवेयर के ज्ञान के साथ-साथ आपके पास एक कंप्यूटर होना चाहिए। फोटो फाइलों को स्टोर करने के लिए पर्याप्त स्टोरेज क्षमता वाले एक्सटर्नल हार्ड डिस्क जरूरी होते हैं।
8.फोटोग्राफी के तकनीकी पहलू : कैमरा सेंटिंग्स और फोटोग्राफी बेसिक्स
फोटोग्राफी के लिए कैमरे का बेसिक नॉलिज होना जरूरी है। डॉटोमैटिक डिजिटल कैमरे में एवरेज वैल्यू के मुताबिक आपके लिए सारी सेटिंग्स कैमरे की इनबिल्ट सॉफ्टवेयर द्वारा कर दी जाती है। लेकिन, बेहतर फोटोग्राफी के लिए आपको मैनुअल तरीके से सबकुछ खुद से सेट करना पड़ता है। इसके लिए आपको कैमरे का मेकैनिज्म पता होना चाहिए और साथ ही एक्सपोजर सेटिंग, फोकस सेट करने के तरीके, फ्लैश के इस्तेमाल सहित अन्य तकनीकों का ज्ञान होना चाहिए।
सब्जेक्ट पर पड़ने वाली रोशनी की मात्रा, ISO, कैमरे की शटर स्पीड और लेंस के अपर्चर (Aperture) की समझ से सही एक्सपोजर हसिल करने में मदद मिलती है। फोटो को ठीक-ठीक एक्सपोज करने पर फोटोग्राफी की सफलता निर्भर करती है। यह फोटोग्राफर का एक अनिवार्य कौशल है। एक्सपोजर कितना हो, कैसा हो और दृश्य या ऑब्जेक्ट का कौन सा हिस्सा कितना एक्सपोज हो इसका कोई फिक्स फॉर्म्युला नहीं है। यह पूरी तरह फोटोग्राफर की जरूरत, समझ और उसकी कलात्मक रुझान पर निर्भर करता है।
फोटोग्राफी के मुकम्मल तकनीकी और कलात्मक ज्ञान के लिए फोटोग्राफी सिखाने वाले इंस्टीट्यूट से कोर्स किया जा सकता है। यदि आपमें खुद से सीखने का धैर्य और जज्बा है तो इंटरनेट की मदद से, किताबों से, खुद से ‘ट्रायल & एरर’ के जरिए या किसी जानकार फोटोग्राफर के अनुभव से भी सीखा जा सकता है।
9.फोटोग्राफी से जीवन और समाज में बदलाव
बहुत से लोगों के लिए फोटोग्राफी केवल एक शौक होता है, लेकिन ध्यान रखें, फोटोग्राफी का महत्व इससे बहुत अधिक है। अभिव्यक्ति का एक माध्यम होने के साथ-साथ यह जीवन और समाज में बदलाव लाने का जरिया भी है। सामाजिक विषयों पर तैयार किए गए एक असरदार डॉक्युमेंट्री से समस्याओं के बारे में लोगों की समझ बनाई जा सकती है, लोगों को जागरुक किया जा सकता है।
जाने-माने भारतीय फोटोग्राफर रघु राय ने अपनी तस्वीरों के जरिए भारत के जीवन के विभिन्न पहलुओं को बड़े संवेदनशील और असरदार तरीके से छुआ है। भोपाल गैस त्रासदी की उनकी तस्वीरों ने पूरी दुनिया का ध्यान उस गैस दुर्घटना की विभीषिका और प्रभावित लोगों की पीड़ा की ओर आकृष्ट किया। इससे सरकारी विभागों और संबंधित एजेंसियों को पुनर्वास (रिहैबिलिटेशन) और राहत कार्य के लिए निश्चित रूप से अतिरिक्त प्रेरणा मिली। 1984 में 2 दिसंबर की आधी रात में घटित हुए भोपाल गैस हादसे ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था। विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियां किस खतरनाक हद तक लापरवाही बरतती हैं यह दुर्घटना इस बात का बहुत दुःखद उदाहरण था। यह हादसा बैट्री (सेल) बनाने वाली अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड के भोपाल प्लांट में मिथाइल आइसोसाइनेट नामक जहरीली गैस के अचानक रिसाव से हुआ था। इसमें लगभग 16,000 लोगों की मौत हुई थी और 6 लाख से अधिक लोग हमेशा के लिए शारीरिक तौर पर प्रभावित हुए। मरने वालों में बड़ी संख्या बच्चों की थी।
इस आलेख में आपने इस प्रश्न के बहाने कि ‘फोटोग्राफी क्या है’ फोटोग्राफी के संक्षिप्त इतिहास, उसके प्रमुख क्षेत्र और जीवन में फोटोग्राफी की उपयोगिता के बारे में जाना। उम्मीद है, इससे फोटोग्राफी को समझने और एक बेहतर फोटोग्राफर बनने में आपको मदद मिलेगी।
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Sumit Singh
Absolutely right, an excellent photography always needs an artistic approach…This informative article shades light on untouched aspect of photography.