पोर्ट्रेट लाइटिंग के 6 क्लासिक प्रकार जो हर फोटोग्राफर को जानने चाहिए
फोटोग्राफी चाहे किसी भी टाइप की हो, किसी भी सब्जेक्ट की हो, उसमें लाइटिंग की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। लाइटिंग के बिना फोटोग्राफी वैसा ही है जैसे रंगों के बिना चित्रकारी! एक अच्छे आकर्षक पोर्ट्रेट के लिए लाइटिंग को समझना बेहद जरूरी है। पोर्टेट फोटोग्राफी में सब्जेक्ट के चेहरे पर कुछ खास तरीकों से लाइट डाली जाती है।
किसी पोर्ट्रेट फोटोग्राफर या स्टूडियो फोटोग्राफर के लिए पोर्ट्रेट लाइटिंग के इन खास पैटर्न और प्रकार का ज्ञान रखना बहुत ही उपयोगी होता है। सब्जेक्ट के चेहरे पर लाइट और शेड दोनों का एक खास अनुपात और पैटर्न होना चाहिए। आमतौर पर हम समझते हैं कि सब्जेक्ट के चेहरे का हर हिस्सा रोशन हो जाना पोर्ट्रेट के लिए काफी है, लेकिन ऐसा नहीं है।
एक अच्छे पोर्ट्रेट के लिए चेहरे के हर हिस्से पर एक-समान लाइट होना सही नहीं होता। आर्ट के तौर पर ऐसी पोर्ट्रेट फोटोग्राफी अनाकर्षक और नीरस हो जाती है। इससे चेहरे पर भाव और मूड नहीं आ पाते।
पोर्ट्रेट में अच्छी लाइटिंग वह होती है जो चेहरे पर आकर्षक रूप से लाइट के साथ-साथ शैडो भी पैदा करे। खास तरीके से लाइट और शैडो पैदा कर चेहरे पर भाव और मूड को सही रूप में दर्शाया जा सकता है।
लाइट-सोर्स और चेहरे के अलग-अलग पोजिशन चेहरे पर पड़ने वाली लाइट के अलग-अलग एंगल बनाते हैं। इसकी मदद से नाक, गाल, ठुड्डी, भौं (आई ब्रो) आदि के उभारों और गड्ढों से चेहरे पर लाइट और शेड के विभिन्न पैटर्न बनाए जा सकते हैं। आइए, जानते हैं फोटोग्राफी में प्रयुक्त होने वाले इन 6 क्लासिक लाइट पैटर्नों के बारे में।
1. बटरफ्लाई लाइटिंग (Butterfly Lighting)
फैशन फोटोग्राफी में बटरफ्लाई लाइटिंग की बड़ी अहमियत है। इसमें लाइट सोर्स को सब्जेक्ट के फेस के सीधे सामने कैमरे के पीछे चेहरे से ऊपर रखा जाता है। यानी, सब्जेक्ट के चेहरे पर एकदम सामने ऊपर की ओर से लाइट पड़नी चाहिए ताकि नाक की छाया नाक के ठीक नीचे बने। इस तरह की लाइटिंग अरेंजमेंट से नाक के ठीक नीचे जैसी छाया बनती है वह पंख खुली तितली, यानी ओपन विंग वाली बटरफ्लाई की तरह तिकोनी मालूम पड़ती। इसी कारण पोर्ट्रेट फोटोग्राफी में प्रयुक्त होने वाली इस तरह की लाइटिंग का नाम बटरफ्लाई लाइटिंग पड़ा। लाइटिंग के इस पैटर्न में न केवल नाक के नीचे बल्कि गाल की हड्डी, होंठ, आंख और माथे के नीचे भी शेड बनता है।
फैशन या ग्लैमर फोटोग्राफी में ऐसी लाइटिंग की मदद से उम्रदराज लोगों के चेहरे की झुर्रियों को भी फोटो में कम करके दिया जा सकता है। इस तरीके से लाइटिंग का इस्तेमाल कर सामान्य चेहरे को भी अधिक आकर्षक और ग्लैमरस दिखाया जा सकता है। स्लिम चेहरे और गालों की उभरी हड्डी वाले चेहरे पर बटरफ्लाई लाइटिंग खास तौर पर कमाल करती है। बटरफ्लाई लाइटिंग के लिए जरूरी होता है कि लाइट सोर्स कैमरे के पीछे ऊंचाई पर रहे ताकि चेहरे पर रोशनी एकदम सामने ऊपर की ओर से गिरे।
2. स्प्लिट लाइटिंग (Split Lighting)
इस तरह की लाइटिंग में चेहरे के बाएं या दाएं किसी एक हिस्से पर अधिक लाइट और दूसरे हिस्से पर कम लाइट पड़ती है। लाइट और शैडो के लिहाज से चेहरे के दो हिस्सों में बंट जाने के कारण इस पैटर्न वाली लाइटिंग का नाम स्प्लिट लाइटिंग पड़ा। इसमें चेहरे पर रोशनी इस तरह पड़नी चाहिए कि यदि चेहरे का बायां हिस्सा प्रकाशित है तो दाएं हिस्से पर शैडो, यानी छाया पड़नी चाहिए। मतलब यह कि चेहरे पर एक समान लाइट न पड़कर चेहरे का दायां या बायां कोई एक हिस्सा ही रोशन होना चाहिए।
जाहिर है, स्प्लिट लाइटिंग में लाइट सोर्स चेहरे के दाएं या बाएं किसी एक तरफ रखा जाता है। लाइट सोर्स को 90 डिग्री के एंगल पर रखना सही होता है। चेहरे का पोजिशन इस तरह एडजस्ट किया जाए कि चेहरे के शेड वाले हिस्से की केवल आंख पर रोशनी की कुछ चमक दिखाई दे जाए तो सोने पर सुहागा! साथ ही, कम से कम एक आंख में कैचलाइट (Catchlight) बनने से पोर्ट्रेट अधिक जीवंत दिखता है। बटरफ्लाई लाइटिंग में खिड़की से आने वाली रोशनी का उपयोग नहीं किया जा सकता, लेकिन स्प्लिट लाइटिंग में खिड़की के प्रकाश का बखूबी उपयोग किया जा सकता है।
3. लूप लाइटिंग (Loop Lighting)
लूप लाइटिंग में चेहर पर रोशनी इस कोण (एंगल) से पड़नी चाहिए कि नाक की छाया बगल में गाल वाले हिस्से पर थोड़ा नीचे की ओर झुककर गिरे। इसके लिए लाइट सोर्स को चेहरे के दाएं या बाएं आंख के लेवल से थोड़ा ऊपर होना चाहिए। नाक की शैडो (छाया) बहुत छोटी बनती है। रोशनी इस तरह पड़नी चाहिए कि नाक की छाया और गाल की छाया अलग-अलग दिखें, आपस में मिलें नहीं। बटरफ्लाई लाइटिंग की पोजिशन को चेहरे के सामने से थोड़ा खिसकाकर बगल कर लिया जाए तो लूप लाइटिंग की स्थिति बनाई जा सकती है।
प्रोफेशनल पोर्ट्रेट फोटोग्राफी में लूप लाइटिंग का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता है, क्योंकि इसे क्रिएट करना आसान होता है और आम तौर पर लोगों को यह पसंद भी खूब आती है।
4. रेम्ब्रांट लाइटिंग (Rembrandt Lighting)
जैसा कि हमने लूप लाइटिंग में देखा कि नाक और गाल की छाया आपस में मिलनी नहीं चाहिए। लेकिन, रेम्ब्रांट लाइटिंग में स्थिति इसके अपोजिट होती है। यानी, नाक और गाल की छाया एक दूसरे में मिल जाती है। रेम्ब्रांट लाइटिंग में सब्जेक्ट के एक गाल पर रोशनी का एक त्रिभुज बनता है, जो नाक और गाल की छाया के आपस में मिलने से क्रिएट होता है। रेम्ब्रांट लाइटिंग का नाम डच कलाकार रेम्ब्रांट वान रेन के नाम पर पड़ा है। रेम्ब्रांट अपने पेंटिंग्स में सब्जेक्ट के चेहरे पर ऐसी ही लाइटिंग दर्शाते थे।
रेम्ब्रांट लाइटिंग में मुख्य लाइट सोर्स को चेहरे से 45 डिग्री पर दाएं या बाएं चेहरे से थोड़ा ऊपर की ओर सब्जेक्ट से थोड़ा दूर रखा जाता है। फिर आप लाइट सोर्स और चेहरे का पोजिशन एडजस्ट कर किसी एक गाल पर रोशनी का त्रिभुज बनाइए। ध्यान रखें, हर तरह का चेहरे पर रेम्ब्रांट लाइटिंग काम नहीं करती। लंबी नाक और उभरी हुई गाल की हड्डी वाला चेहरा इसके लिए उपयुक्त होता है।
5. ब्रॉड लाइटिंग (Broad Lighting)
स्प्लिट, लूप या रेम्ब्रांट लाइटिंग में चेहरे का रोशन एरिया यदि शैडो वाले हिस्से की तुलना में ज्यादा बड़ा है तो इस तरह की लाइटिंग स्टाइल ब्रॉड लाइटिंग कहलाती है। चेहरे का रोशन हिस्सा कैमरे के सामने रहता है। दरअसल, ब्रॉड लाइटिंग किसी पैटर्न को नहीं दिखाता बल्कि यह ऊपर बताए गए लाइटिंग पैटर्न के अंतर्गत एक स्टाइल है। चित्र 5 के अलावा चित्र 1, 2, 3 और 4 ब्रॉड लाइटिंग के भी उदाहरण है।
ब्रॉड लाइटिंग से चेहरा बड़ा दिखता है। इसलिए, छोटे और संकरे चेहरे वाले सब्जेक्ट के लिए इस लाइटिंग स्टाइल का इस्तेमाल करना बढ़िया होता है। जबकि, बड़े और चौड़े चेहरे के लिए यह सही नहीं होती, क्योंकि इससे चेहरा और बड़ा दिखने लगता है। ब्रॉड लाइटिंग का इस्तेमाल ‘हाई-की’ (High Key) पोर्ट्रेट, यानी ब्राइट पोर्ट्रेट के लिए भी किया जाता है।
6. शॉर्ट लाइटिंग (Short Lighting)
शॉर्ट लाइटिंग भी लाइटिंग की केवल एक स्टाइल है, कोई अलग पैटर्न नहीं। चित्र 6 शॉर्ट लाइटिंग के साथ-साथ लेम्ब्रांट लाइटिंग का भी उदाहरण है (दाईं आंख के नीचे रोशनी का त्रिकोण/लाइट ट्राइएंगल)। ब्रॉड लाइटिंग के विपरीत इसमें चेहरे के बड़े क्षेत्रफल पर छाया रहती है और उसकी तुलना में छोटे हिस्से पर रोशनी पड़ती है। इसमें चेहरे का शैडो एरिया कैमरे के सामने रहता है।
शॉर्ट लाइटिंग से चेहरा छोटा दिखता है। इसलिए, बड़े और चौड़े चेहरे वालों को शॉर्ट लाइटिंग में अपना पोर्ट्रेट अधिक पंसद आता है। जबकि, छोटे और संकरे चेहरे के लिए इसका इस्तेमाल सही नहीं होता। इससे पोर्ट्रेट में चेहरा और भी छोटा दिखने लगता है। शॉर्ट लाइटिंग का प्रयोग ‘लो-की’ (Low Key) पोर्ट्रेट, यानी डार्क पोर्ट्रेट के लिए भी किया जाता है, जिसमें चेहरे के एक छोटे हिस्से पर ही लाइट पड़ती है।
दोस्तो, पोर्ट्रेट के लिए ये लाइटिंग पैटर्न पोर्ट्रेट फोटोग्राफी में लाइटिंग के इस्तेमाल की क्लासिक विधियां हैं। आप इनमें अपनी ओर से नए प्रयोग कर पोर्ट्रेट में प्रकाश और छाया (light & shadow) का मनचाहा खेल खेल सकते हैं। आप चाहें तो एक से अधिक लाइट सोर्स और रिफ्लेक्टर्स की मदद ले सकते हैं। लेकिन, सबसे बड़ी बात है आपको सब्जेक्ट के चेहरे की बनावट (फेस प्रोफाइल) का सही अध्ययन करना चाहिए और उसी अनुरूप लाइटिंग अरेंज करनी चाहिए। रियल पोर्ट्रेट फोटोग्राफी से पहले किसी पुतले के धड़ (bust) पर विभिन्न लाइटिंग पैटर्नों के साथ कुछ दिन अभ्यास करना बढ़िया होगा।
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