फोटोग्राफी में व्हाइट बैलेंस (White Balance)/ WB, या कलर बैंलेंस (colour balance) पर बहुत कम लोग ध्यान देते हैं। अपर्चर, शटरस्पीड और ISO के बाद फोटो के बनने-बिगड़ने में सबसे बड़ा हाथ व्हाइट बैलेंस का होता है। अपर्चर, शटरस्पीड और ISO से फोटो का एक्सपोजर निर्धारित होता है, जबकि व्हाइट बैलेंस से फोटो का फाइनल कलर-टोन या कलर कास्ट (आभा) निर्धारित होता है।
हर वस्तु का अपना रंग होता है। लेकिन, हमारी आंखों को जो दिखाई पड़ता है वह इस बात पर निर्भर करता है कि हम उसे किस रोशनी में देख रहे हैं। यानी सब्जेक्ट का रंग उसके ऊपर पड़ने वाले प्रकाश के रंग से प्रभावित होता है। आम तौर पर कैमरा वही रंग कैप्चर करता है जो वस्तु के रंग और उसके ऊपर पड़ने वाले प्रकाश के सम्मिलित प्रभाव से पैदा होता है।
जैसे, एक बिल्कुल सफेद कागज का पन्ना बल्ब की रोशनी में थोड़ा पीलापन लिए दिखाई पड़ता है। जबकि, कागज का वही पन्ना ट्यूबलाइट या दिन की रोशनी में बिल्कुल सफेद दिखता है। आपने आउटडोर ली गई फोटो में भी गौर किया होगा- खिली धूप वाले दिन में ली गई तस्वीर का रंग स्वाभाविक होता है, जबकि बादल ढंके दिन में ली गई तस्वीर पर थोड़ी पीलापन ली हुई आभा होती है।
व्हाइट बैलेंस (White Balance) एक टेक्नीक या तरीका है कैमरे के इमेज प्रॉसेसर को यह बताने का कि तस्वीर का कलर कास्ट, यानी उसमें रंगों की आभा हमें कैसी चाहिए। प्रायः हमें फोटो लेने से पहले डिजिटल कैमरे के इमेज प्रॉसेसर को यह बताना पड़ता है कि सामान्य रूप से आंख जैसी तस्वीर देखती है वैसी ही रंगत वाली तस्वीर हमें चाहिए, या हम जैसा चाहें वैसा। कैमरे में व्हाइट बैलेंस का यही काम है। कैमरे में इसका संकेत WB होता है।
DSLR कैमरों में व्हाइट बैलेंस (White Balance) सेटिंग
डीएसएलआर कैमरों में और दूसरे एडवांस्ड कैमरों में भी व्हाइट बैलेंस सेट करने की सुविधा होती है। आप इसे कैमरे के MENU में जाकर सेट सकते हैं। डिजिटल कैमरों में प्रायः Auto, Direct Sunlight, Cloudy, Shade, Incandescent, Fluorescent, Flash, Manual और Colour Temperature जैसे व्हाइट बैलेंस के मोड दिए गए होते हैं।
व्हाइट बैलेंस (White Balance) को ऑटो मोट में रखना प्रायः सेफ रहता है। scene में रोशनी की स्थिति और उसके कलर टेंप्रेचर के आधार पर कैमरे का इमेज प्रॉसेसर खुद से उपयुक्त वैल्यू सेट कर लेता है। फिर भी, आपको एक ट्रायल शॉट लेकर कैमरे के एलसीडी स्क्रीन पर देखकर कर संतुष्ट हो लेना चाहिए। यदि यह रिजल्ट वैसा नहीं है जैसा आप चाहते हैं तो आप व्हाट बैलेंस के दूसरे मोड्स आजमा सकते हैं।
Auto व्हाइट बैलेंस के अलावा जो दूसरे मोड्स हैं उनकी विशेषताएं देखिए-
Direct Sunlight – दिन के समय धूप में आउटडोर शूटिंग के लिए
Cloudy – यह फोटो में वार्म टोन बढ़ाता है, मतलब तस्वीर की रंगत थोड़ा पीलापन लिए होती है, बादल ढके दिन के लिए
Shade – यह क्लाउडी से भी अधिक वार्म टोन देता है, प्रायः दिन के समय छांह वाली जगह के लिए
Incandescent – पीली रोशनी वाली पारंपरिक बल्ब की रोशनी में इस्तेमाल के लिए
Fluorescent – ट्यूबलाइट या सीएफएल की सफेद रोशनी के लिए
Flash – फ्लैश डालकर फोटो लेने की स्थिति में उपयुक्त
Manual – इसमें आप White Card की मदद से कैमरे को मैनुअली बता सकते हैं कि उसे सफेद रंग को किस रूप में देखना है।
Colour Temperature की मदद से व्हाइट बैलेंस सेट करने की सुविधा एडवांस्ड डीएसएलआर कैमरों में होती है।
व्हाइट बैलेंस के ये सारे मोड्स कॉमन हैं। कैमरा ब्रांड और मॉडल के अनुसार इनके नाम और व्यवहार में फर्क होता है। इसलिए, आपको अपने कैमरे के व्हाइट बैलेंस को ‘ट्रायल & एरर’ के तरीके से प्रयोग करके खुद से समझना पड़ेगा। ..और यदि आप इस मिहनत से बचना चाहते हैं तो फिर ऑटो मोड तो है ही!
Advaced व्हाइट बैलेंस (White Balance) setting
एंट्री-लेवल डीएसएलआर कैमरे में व्हाइट बैलेस सेट करने के लिए menu के अंदर जाना पड़ता है, जबकि महंगे प्रोफेशनल डीएसएलआर में इसके लिए बाहर ही अलग से बटन दिया गया होता है। इससे आप अपना मनचाहा व्हाइट बैलेंस फटाफट सेट सकते हैं।
प्रोफेशनल कैमरों में कलर टेंप्रेचर के अनुसार आप अधिक सटीक व्हाइट बैलेंस (White Balance) सेट सकते हैं। दोस्तो, इसके लिए हमें व्हाइट बैलेंस के पीछे का थोड़ा विज्ञान समझ लेना चाहिए। हर रोशनी की रंगत (colour cast) या आभा उसकी ऊर्जा के कारण होती है जिसे केल्विन में मापा जाता है। इसे फोटोग्राफी की व्यावहारिक बोलचाल में कलर टेंप्रेचर कहा जाता है।
फोटोग्राफिक लैंग्वेज में पीली रंगत वाली रोशनी वार्म टेंप्रेचर (warm temperature) वाली लाइट कहलाती हैं। सफेद या नीली रंगत वाली रोशनी को कूल टेंप्रेचर (cool temperature) वाली लाइट कहते हैं। ध्यान रखिए यह वार्म या कूल टेंप्रेचर केवल नाम है। इन्हें रोशनी के तापमान के रूप में न समझें। हर रोशनी का कलर टेंप्रेचर निर्धारित है। इसे कैल्विन (K) से निरूपित करते हैं। यह चार्ट देखिए-
कलर टेंप्रेचर स्केल
दोस्तो, डीएसएलआर या एडवांस्ड पॉइंट & शूट कैमरे से यदि आप RAW फॉर्मेट में शूट करते हैं तो बाद में पोस्ट प्रॉसेसिंग के दौरान कंप्यूटर पर व्हाइट बैलेंस करेक्ट कर सकते हैं। लेकिन, JPEG फॉर्मेट में शूट कर रहे हैं तो आपको फोटो लेने से पहले इसे कैमरे में ही सेट करना होगा।
इन्हें भी जानें –
- एक्सपोजर (Exposure) क्या है?…
- अपर्चर (Aperture) क्या है?
- शटर स्पीड (Shutter Speed) क्या है?
- आईएसओ (ISO) क्या है?
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Preet Kumar Singh
बढ़िया जानकारी!👍